22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. पूरा देश राम-मय दिखाई पड़ रहा है. घर-घर में ‘राम आएंगे’ की गूंज सुनाई पड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश का हर आम और खास व्यक्ति राम मंदिर के निर्माण से प्रफुल्लित है. एक ऐसा विवाद जो पिछले 500 सालों से हर भारतीय के मन में शूल की तरह चुभ रहा था, वो घाव अब राम मंदिर के निर्माण से भर चुका है.
लेकिन 22 जनवरी से पहले 15 जनवरी की तारीख भी बेहद खास है. क्योंकि इसी दिन भारतीय सेना का स्थापना दिवस यानी आर्मी डे मनाया जाता है. ऐसे में आज से लेकर 22 जनवरी तक टीएफए आपको रामायण से ली गई मिलिट्री टैक्टिक्स, फिलॉसफी, डिप्लोमेसी, इंटेलिजेंस और वॉरफेयर के बारे में एक-एक कर बताएंगे. कुछ दिनों पहले हमने आपको बताया था कि डीआरडीओ अपनी जिस सबसे घातक मिसाइल को बनाने जा रहा है उसे माता सीता की कुशा का नाम क्यों दिया है (स्वदेशी एस-400 मिसाइल बनाने में जुटा DRDO, माता सीता की ‘कुशा’ की तरह नहीं फटकेगा पास दुश्मन). लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आज की आधुनिक भारतीय सेना रामायण काल की भगवान राम की सेना से प्रभावित है.
अधिकतर जानकार ये मानते हैं कि मौजूदा भारतीय सेना की शुरुआत ब्रिटिश इंडियन आर्मी से हुई थी. यानी आज से 150-200 साल पहले. ब्रिटिश राज के दौरान जिस सेना को खड़ा किया गया था, वही आज की भारतीय सेना है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय सेना अपनी शुरुआत भगवान राम की सेना से मानती है. बिल्कुल ठीक सुना आपने. इंडियन आर्मी अपनी उत्पत्ति को रामायण में देखती है. अगर आपको यकीन नहीं है तो भारतीय सेना की ऑफिसियल वेबसाइट इंडियन आर्मी डॉट निक डॉट इन देख सकते हैं.
भारतीय सेना की वेबसाइट पर साफ लिखा है कि इंडियन आर्मी का “गौरवशाली इतिहास 10 हजार साल पुराना है… पौराणिक ग्रंथ रामायण और महाभारत की नींव पर ही भारतीय सेना के मूलभूत ढांचा का निर्माण किया गया है.”
आज की आधुनिक भारतीय सेना में अगर सभी धर्म, जाति और क्षेत्रों की बराबर की हिस्सेदारी है तो भगवान राम ने अपनी शक्ति वानर सेना के साथ मिलकर कई गुना की थी. भारतीय सेना में आज सिख, जाट, कुमाउं, गढ़वाल, लद्दाख, डोगरा, राजपूत, मद्रास, नागा, असम और मराठा रेजीमेंट हैं तो इसमें सभी धर्मों के सैनिक शामिल हैं. भारतीय सैनिक पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण सभी स्थानों से आते हैं. भगवान राम अगर उत्तर भारत की अयोध्या नगरी के राजा थे तो उनकी वानर सेना के प्रमुख सुग्रीव का राज्य किष्किंधा पर्वत, दक्षिण भारत के कर्नाटक में था. मान्यता है कि भगवान राम के सबसे शक्तिशाली योद्धा हनुमान जी का जन्म आज के महाराष्ट्र में हुआ था.
भारतीय सेना के मुताबिक, रामायण और महाभारत के बाद हजारों युद्ध लड़े गए लेकिन ये सभी धर्म की रक्षा और शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए थे. “हमारी प्राचीन संस्कृति के योद्धा तभी अपने हाथों में हथियार उठाते थे जब उन्हें लगता था कि शांति खतरे में है.” जैसे भगवान राम ने युवा अवस्था में ऋषि विश्वामित्र के कहने पर अपने माता-पिता और राज्य के सुख-सुविधा त्यागकर जंगल चले गए थे और वहां राक्षसों का समूल नाश किया था. बाद में वनवास के समय भी भगवान राम ने अपनी सेना को तभी खड़ा किया था जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था.
भगवान राम के पास ब्रह्मास्त्र से लेकर उस वक्त के सभी खतरनाक हथियार थे. लेकिन उन्होंने उन हथियारों को इस्तेमाल कभी किसी का राज्य हड़पने के लिए नहीं किया था. रावण की सोने की लंका को जीतकर वापस अपने मित्र और रावण के भाई विभीषण को लौटा दी थी. लंका पर विजय के बाद भगवान राम ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन जरुर किया था लेकिन वो प्राचीन आर्यावत यानी आज के भारत में एकछत्र राज कायम करने के लिए किया गया था ना कि किसी का राज्य हड़पने के लिए.
भारतीय सेना ने भी कभी आज तक किसी कमजोर पड़ोसी या हारे हुए दुश्मन की जमीन पर कब्जा नहीं किया है. यहां तक की 1988 में मालदीव जैसे छोटे से देश पर जब संकट आया तो वहां ऑपरेशन कर तख्ता पलटने वालों को तो भगाया. लेकिन देश की बागडोर फिर से वहां के राष्ट्राध्यक्ष को देकर भारत लौट आई. 1965 के युद्ध में भारतीय सेना लाहौर तक जरूर पहुंच गई थी लेकिन शांति समझौता होते ही वापस लौट आई. लेकिन दुश्मन को अपनी जमीन पर कब्जा करने नहीं देती है. करगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना और उनके समर्थित घुसपैठियों को अपनी सरजमीं से खदेड़ कर ही दम लिया था.
भारत के पास आज परमाणु हथियारों से लेकर ब्रह्मोस मिसाइल, टैंक और तोप के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है. लेकिन उन हथियारों और सैनिकों का इस्तेमाल कभी भी किसी भी देश पर आक्रमण के लिए नहीं किया गया है. ये सभी हथियार और 14 लाख सैनिक आंतरिक और बाहरी सीमाओं पर शांति कायम करने के लिए है ताकि कोई दुश्मन देश हम पर हमला ना कर दे.
यही वजह है कि भारतीय सेना प्राचीन यजुर्वेद की सूक्तियों को अपनी फिलॉसफी मानती है. वो फिलॉसफी है, “आसमान में शांति हो, वातावरण में शांत हो, पृथ्वी पर शांति हो…हमें शाश्वत शांति की प्राप्ति हो.” (https://youtu.be/b_1SbzVRLqo?si=Dpy1J8PfPlbcGL4B)
जय हिंद.
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