दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भारतीय सेना के वर्क-हॉर्स, चीता हेलीकॉप्टर के रिटायरमेंट का वक्त आ गया है. अगले 3-4 साल में चीता और चेतक दोनों ही हेलीकॉप्टर को भारतीय सेना से चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर दिया जाएगा. 60 और 70 के दशक से देश की दूर-दराज और बेहद दुर्गम सीमाओं पर सैनिकों के लिए जरूरी रसद और हथियारों की सप्लाई करने वाले इन दोनों हेलीकॉप्टर की जगह स्वदेशी एलयूएच लेने जा रहे हैं. .
भारतीय सेना को चीता-चेतक हेलीकॉप्टर की फ्लीट को रिप्लेस करने के लिए कम से कम 250 हेलीकॉप्टर की जरूरत है. सरकारी उपक्रम हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इनदिनों स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) पर काम कर रहा है. एलयूएच के कड़े परीक्षण भी चल रहे हैं. अगर इसमें वायुसेना और नौसेना की जरूरतों को भी जोड़ दें तो देश की सशस्त्र सेनाओं को कम से कम 400 ऐसे हेलीकॉप्टर की जरूरत है.
ऐसे में एलयूएच के पूरी तरह से तैयार होने के साथ ही चीता-चेतक हेलीकॉप्टर का रिटायरमेंट शुरु हो जाएगा. माना जा रहा है कि अगले साल से भारतीय सेना को ये एलयूएच हेलीकॉप्टर मिलने शुरु हो जाएंगे. एलयूएच को ऑटो-पायलट तकनीक से भी लैस कर दिया गया है.
एचएएल ने 60 के दशक में सेना के तीनों अंगों के लिए फ्रांस की एयरबस कंपनी (उस वक्त एसयूडी-एविएशन) से सबसे पहले चेतक हेलीकॉप्टर के निर्माण का करार किया था. करीब दो टन का चेतक मल्टी रोल हेलीकॉप्टर है जिसमें दो पायलट सहित कुल सात लोग बैठ सकते हैं. इसके अलावा चेतक का इस्तेमाल सीमावर्ती चौकियों को सप्लाई पहुंचाने से लेकर सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
चेतक के बाद एचएएल ने 70 के दशक में यूरोप की यूरोकॉप्टर कंपनी से करार कर भारत में ही चीता हेलीकॉप्टर का निर्माण किया. फाइव-सीटर चीता हेलीकॉप्टर भी चेतक की तरह ही एक मल्टी रोल हेलीकॉप्टर है. लेकिन चीता का हाई ऑल्टिट्यूड इलाकों में उड़ान भरने का रिकॉर्ड है. यही वजह है कि कि चीता हेलीकॉप्टर को सियाचिन रण-क्षेत्र की 15-20 हजार फीट की ऊंचाई वाली पोस्ट के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट से लेकर सर्च एंड रेस्क्यू के लिए इस्तेमाल किया जाता है. थलसेना और वायुसेना दोनों ही सियाचिन में चीता हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा चीता और चेतक दोनों ही रेगिस्तान और बेहद गर्मी वाले इलाकों में भी उड़ान भरने में सक्षम है.
पिछले 40 साल में एचएएल ने करीब 400 चीता-चेतक हेलीकॉप्टर का निर्माण किया है. लेकिन अब इन दोनों ही हेलीकॉप्टर के रिटायरमेंट का वक्त आ गया है. डिफेंस और सुरक्षा तंत्र के सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में “भारतीय सेना को 250 एलयूएच हेलीकॉप्टर की सख्त जरूरत है.” इसके अलावा भारतीय वायुसेना और नौसेना को भी ऐसे हल्के हेलीकॉप्टर की जरूरत है. सूत्रों की मानें तो अगर एचएएल सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता हैं तो कुछ हेलीकॉप्टर को लीज पर लेने पर भी विचार किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में “चीता-चेतक हेलीकॉप्टर की पूरी फ्लीट को रिप्लेस करने मेें पूरा एक दशक लग सकता है.”
चीता-चेतक को रिप्लेस करने वाला एलयूएच करीब 3 टन का है और इसमें दो पायलट सहित कुल आठ (08) लोग सवार हो सकते हैं. आपको बता दें कि इसी साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु के करीब तुमकुर में एचएएल की नई हेलीकॉप्टर फैक्टरी का उद्घाटन किया था. इस फैक्टी में सबसे पहले एलयूएच का ही निर्माण शुरु हुआ है. एचएएल की इस ग्रीनफील्ड फैक्टरी में शुरूआत में सालाना 30 हेलीकॉप्टर का निर्माण किया जाएगा. लेकिन आने वाले सालों में इसकी संख्या 60 और फिर 90 तक पहुंच सकती है.
एलयूएच के इनदिनों ट्रायल चल रहे हैं. वर्ष 2020 में एचएएल ने दस दिनों तक लेह, डीबीओ और सियाचिन ग्लेशियर में एलयूएच के सफल परीक्षण किए थे. एलयूएच ने सियाचिन की सबसे ऊंची अमर और सोनम पोस्ट पर लैंडिंग कर अपनी ताकत का परिचय दिया था. वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने थलसेना और वायुसेना के लिए कुल 12 (6-6 दोनों के लिए) लिमिटेड सीरिज प्रोडक्शन (एलएसपी) एलयूएच हेलीकॉप्टर का ऑर्डर किया था. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्रालय शुरूआत में थलसेना के लिए 126 और वायुसेना के लिए 61 एलयूएच हेलीकॉप्टर का ऑर्डर कर सकता है. इसके अलावा इंडियन कोस्टगार्ड को भी इन एलयूएच की जरूरत है.