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50 हजार करोड़ का रक्षा निर्यात रहेगा लक्ष्य: राजनाथ

दूसरी बार देश के रक्षा मंत्री का पदभार संभालते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि अगले पांच सालों के लिए उनकी प्राथमिकता अधिक सुरक्षित, आत्मनिर्भर एवं समृद्ध राष्ट्र की स्थापना होगा. साथ ही 2028-29 तक रक्षा निर्यात को 50 हजार करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य होगा. 

गुरुवार को राजधानी दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में राजनाथ सिंह ने पहुंचकर अपना कार्यभार संभाला. इस दौरान रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, सीडीएस जनरल अनिल चौहान और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने सहित सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने राजनाथ सिंह का स्वागत किया. 

इस मौके पर मौजूद पत्रकारों से बात करते हुए, रक्षा मंत्री ने अगले पांच वर्षों के लिए अपना दृष्टिकोण बताया और कहा कि अधिक सुरक्षित, आत्मनिर्भर एवं समृद्ध राष्ट्र की स्थापना के लिए नए सिरे से जोर देने के साथ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, हमारा उद्देश्य रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ देश के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करना होगा. सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण तथा सेवारत एवं सेवानिवृत्त सैनिकों का कल्याण हमारी प्राथमिकता रहेगी.” (https://x.com/SpokespersonMoD/status/1801220947854455199)

राजनाथ सिंह ने कहा कि आने वाले समय में हमारा उद्देश्य रक्षा निर्यात को बढ़ाना  होगा. उन्होंने कहा “वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. यह ऐतिहासिक उपलब्धि थी. हमारा लक्ष्य 2028-2029 तक 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा उपकरण निर्यात करना है.”

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों और मिलिट्री प्लेटफार्मों से लैस किया जा रहा है और वे हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने वीरता और प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा करने के लिए सैन्य कर्मियों की सराहना की.

कार्यभार संभालने के तुरंत बाद राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी नई सरकार की पहली 100 दिनों की कार्य योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में पूर्व सैनिकों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया गया और पूर्व सैनिक कल्याण विभाग से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे 100 दिनों की कार्य योजना में निर्धारित एजेंडे को पूरा करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करें.

 रक्षा तैयारियों को बढ़ाने और रक्षा में आत्मनिर्भरता पर निरंतर जोर देने के उद्देश्य से, रक्षा मंत्री ने कहा कि तीव्र प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए वह नियमित रूप से समीक्षा बैठक आयोजित करेंगे. रक्षा समीकरण में हिंद महासागर क्षेत्र के बढ़ते महत्व को देखते हुए रक्षा मंत्री ने अपने नए कार्यकाल में पहली यात्रा पर पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापत्तनम का दौरा करने का फैसला किया जहां वह अधिकारियों और नाविकों के साथ बातचीत करेंगे (चीन और अग्निवीर योजना रहेगी राजनाथ की चुनौती).

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