एक समय दुनिया के सबसे बड़े हथियारों के आयातक देश माने जाने वाला भारत अब 65 प्रतिशत तक अपनी रक्षा जरूरतों का सामान खुद तैयार करता है. रक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस साल (2023-24) देश का रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले एक दशक में रक्षा उत्पादन में 174 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2014-15 में देश का रक्षा उत्पादन 46,429 करोड़ था. उल्लेखनीय है कि इस साल (2024-25) का रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ पहुंच गया है, जो 2013-14 (2.53 लाख करोड़) के मुकाबले ढाई गुना से भी ज्यादा है.
फाइटर जेट से लेकर टैंक और तोप, हेलीकॉप्टर से लेकर एयरक्राफ्ट कैरियर तक बनते हैं देश में
देश में रक्षा उत्पादन को गति देने में स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोजेक्ट, सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एलसीएच प्रचंड और एलयूएच हेलीकॉप्टर, मैन बैटल टैंक (एमबीटी) अर्जुन, आकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, अटैग्स तोप, स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी, विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर सहित दर्जनों जंगी जहाज शामिल हैं.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट की सुरक्षा कमेटी (सीसीएस) ने थलसेना के लिए 307 एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) यानी अटैग्स तोप को खरीदने की मंजूरी दी थी. करीब सात हजार (7000) करोड़ की इस खरीद में 307 तोपों के अलावा 327 हाई मोबिलिटी टोइंग व्हीकल शामिल हैं.
प्राईवेट सेक्टर की हथियार और सैन्य साजो सामान बनाने में 21 प्रतिशत की भागीदारी
डीआरडीओ द्वारा तैयार की गई अटैग्स तोपों को टाटा एडवांस और भारत फोर्ज नाम की प्राईवेट कंपनियां, सेना के लिए निर्माण करेंगी. थलसेना, इन 307 अटैग्स तोपों से 15 आर्टिलरी रेजीमेंट का गठन करने की तैयारी कर रही है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, देश के रक्षा उत्पादन में इस वक्त 21 प्रतिशत निजी क्षेत्र (प्राईवेट सेक्टर) की भागीदारी है. इस समय देश में 430 प्राइवेट कंपनियां हैं जिन्हें रक्षा मंत्रालय ने गोला-बारूद से लेकर तोप और एयरक्राफ्ट बनाने का लाइसेंस दिया है. साथ ही देश के डिफेंस इकोसिस्टम को मजबूती प्रदान करती हैं 16 डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू).
माना जा रहा है कि वर्ष 2029 तक भारत में रक्षा उत्पादन करीब तीन लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा.
अभी भी दुनिया में हथियारों के निर्यात में है दूसरा स्थान: सिपरी
ग्लोबल थिंकटैंक इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में भारत का हथियारों का आयात करीब 10 प्रतिशत कम हुआ है. हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अभी भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश है (पहले स्थान पर यूक्रेन है).
सिपरी के मुताबिक, भारत इसलिए हथियारों का आयात ज्यादा करता है क्योंकि दो-दो पड़ोसी देश (चीन और पाकिस्तान) से तनातनी है.
डिफेंस एक्सपोर्ट में 30 गुना की बढ़ोतरी
रक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक में डिफेंस एक्सपोर्ट में 30 गुना की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2013-14 में जहां आर्म्स एक्सपोर्ट महज 686 करोड़ था, वहीं इस साल (2023-24) में ये 21 हजार करोड़ के पार पहुंच गया (21,083 करोड़).
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले एक दशक (2014-24) के दौरान कुल डिफेंस एक्सपोर्ट 88,319 करोड़ का था, जो 2004-14 के मुकाबले 21 गुना था (4312 करोड़). इस वक्त, भारत बुलेटप्रूफ जैकेट से लेकर, डोरनियर एयरक्राफ्ट, चेतक हेलीकॉप्टर, फास्ट इंटरसेप्टर बोट्स और लाइटवेट टारपीडो शामिल हैं.
मेड इन बिहार बूट्स बने रशियन आर्मी का हिस्सा
हाल ही में ये खबर आई थी कि बिहार में बने (मेड इन बिहार) बूट्स को रशियन आर्मी की गियर का हिस्सा बनाया गया है. भारत की पिनाका रॉकेट सिस्टम को आज आर्मेनिया को एक्सपोर्ट किया जा रहा है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारत की सैन्य साजो सामान को आज अमेरिका और फ्रांस सहित कुल 100 देशों को निर्यात किया जा रहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि वर्ष 2029 तक भारत, ने अपने डिफेंस एक्सपोर्ट का लक्ष्य 50 हजार करोड़ का है.
एफडीआई हुआ है बेहद कम
रक्षा मंत्रालय ने अपने आंकड़ों में ये भी बताया कि पिछले ढाई दशक में (2000-24) में 5516 करोड़ का सीधा विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ है.