एलएसी पर पिछले तीन साल से चल रही तनातनी और ताइवान विवाद के बीच अमेरिकी सेना प्रमुख ने भारत पहुंचकर चीन को बड़ी चेतावनी दी है. यूएस आर्मी चीफ जनरल रैंडी जॉर्ज इनदिनों इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस (आईपीएसीसी) में हिस्सा लेने पहुंचे हैं जिसमें भारत सहित 30 देशों के सेना प्रमुख और टॉप कमांडर हिस्सा ले रहे हैं।
आईपैक (आईपीसीसी) सम्मेलन का ये 13वां संस्करण हैं जिसे अमेरिकी सेना 1999 से आयोजित करती आई है. दो साल में एक बार होने वाले इस सम्मेलन में इंडो-पैसिफिक रीजन के वे देश हिस्सा लेते आए हैं जो अमेरिका के मित्र-राष्ट्र हैं. पहली बार ये कॉन्फ्रेंस भारत में हो रही है जिसे भारतीय सेना यूएस आर्मी के साथ मिलकर होस्ट कर रही है. सम्मेलन में 17 देशों के थलसेना प्रमुख और 12 देशों की सेनाओं के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
सम्मलेन के दौरान थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और यूएस आर्मी चीफ जनरल जॉर्ज ने मीडिया को संबोधित भी किया. इस दौरान चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जनरल जार्ज ने कहा कि “इंडो-पैसिफिक रीजन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ये क्षेत्र अमेरिका की नेशनल डिफेंस स्ट्रेटेजी में सबसे प्रमुख है.” उन्होनें कहा कि “हमारी आर्मी पूरी दुनिया में है लेकिन मैं यहां हूं और हम पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा युद्धाभ्यास यहां करते हैं ये उसी (चीन) की वजह से है।
अमेरिकी सेना प्रमुख ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस से हमारे सभी “मित्र-देशों में यूनिटी (एकता) होगी, क्षमता और प्रतिबद्धता मिलेगी. हम इसी पर फोकस कर रहे हैं.” यूएस आर्मी चीफ ने कहा “इस कॉन्फ्रेंस से से हमारे प्रतिद्वंदियों के खिलाफ शक्ति संतुलन और विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ डिटरेंस का काम करेगी”
यूएस आर्मी चीफ ऐसे समय में भारत पहुंचे हैं जब भारत और अमेरिका की सेनाएं अलास्का में सालाना ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज, युद्धाभ्यास कर रही हैं (25 सितंबर-8 अक्टूबर)
आईपैक कॉन्फ्रेंस में
आईपैक के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर अ-परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि “भारत फ्री, ओपन, समावेशी और रूल-बेस्ड इंडो-पैसिफिक के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है’।
लेकिन मीडिया को संबोधित करते हुए थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने हालांकि साफ कहा कि आईपैक सम्मेलन किसी भी तरह का कोई “मिलिट्री गठजोड़ या अलायंस नहीं है”।
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