क्या भारत का न्यूक्लियर सीक्रेट आउट हो गया है. ये सवाल इसलिए क्योंकि सेना ने देश की स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) में तैनात एक मेजर को पाकिस्तानी जासूस के साथ वाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के आरोप में बर्खास्त कर दिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मेजर को सेना से बर्खास्त करने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है. देश के परमाणु हथियारों की देखरेख से लेकर संचालन की जिम्मेदारी एसएफसी के हवाले है.
जानकारी के मुताबिक, आरोपी मेजर भारतीय सेना के करीब 20 अधिकारियों के साथ ‘पटियाला-पैग’ नाम के एक वाट्सएप ग्रुप में शामिल था. ग्रुप में ब्रिगेडियर और कर्नल रैंक तक के ऑफिसर शामिल थे. पिछले साल यानि मार्च 2022 में इस ग्रुप में एक पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ) ने घुसपैठ कर ली थी. जैसे ही ये खबर भारतीय सेना की मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) को लगी, फौरन ग्रुप में मौजूद सभी अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए.
जांच में पाया गया कि एसएफसी कमांड में तैनात मेजर के मोबाइल फोन में संवेदनशील जानकारी मौजूद थी, जो सेना के नियमों के खिलाफ है. हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं है कि मेजर ने वॉट्सऐप ग्रुप में कोई संवेदनशील जानकारी साझा की थी या नहीं लेकिन फोन में सीक्रेट दस्तावेज रखना एक गंभीर आरोप माना गया है. हालांकि, आरोपी मेजर के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कारवाई नहीं की गई है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ के जुर्म में सेना से बर्खास्त कर दिया गया है. राष्ट्रपति (जो सेना की सुप्रीम कमांडर भी हैं) ने आर्मी एक्ट 1950 के सेक्शन 18 के तहत तत्काल प्रभाव से मेजर की सेवाएं समाप्त कर दी हैं.
एसएफसी देश की टाई-सर्विस यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना की साझा कमान है जो सीधे पीएमओ यानि प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन है. एसएफसी की जिम्मेदारी देश के परमाणु हथियार और दूसरे स्ट्रेटेजिक यानि सामरिक-महत्व के हथियारों की देखभाल और संचालन शामिल है. यही वजह है कि सेना और सरकार ने आरोपी मेजर के खिलाफ गंभीर आरोप पाए हैं.
हालांकि, सेना में वाट्सएप ग्रुप में शामिल होने पर कोई रोक नहीं है. लेकिन सैनिकों को ऐसे किसी भी ग्रुप में शामिल न होने की हिदायत दी जाती है जिसमें कोई संदिग्ध व्यक्ति या फिर गतिविधियां हो रही हैं. साथ ही किसी भी ग्रुप में सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा करने की सख्त मनाई है. सेना ने अधिकारियों को सोशल मीडिया पर उपस्थिति को लेकर भी कड़े निर्देश दे रखे हैं. सैनिकों को सोशल मीडिया पर यूनिफॉर्म में फोटो या वीडियो डालने पर सख्त रोक है. यहां तक की प्रोफाइल पिक्चर में भी सैनिक वर्दी में नहीं डाल सकते हैं. सोशल मीडिया पर अपनी पोस्टिंग और लोकेशन से लेकर सेना की मूवमेंट की भी कोई जानकारी साझा नहीं की जा सकती है. यहां तक की सैनिकों को अपने परिवार के सदस्यों द्वारा भी सोशल मीडिया पर ऐसी किसी जानकारी को साझा नहीं करने की हिदायत है.
वाट्सऐप ग्रुप में शामिल बाकी 20 अधिकारियों के खिलाफ भी अगल से जांच चल रही है. इन अधिकारियों में से चार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर सेना द्वारा फोन जब्त करने को गलत ठहराया है. चारों अधिकारियों के अधिवक्ता कर्नल अमित कुमार (रिटायर) का मानना है कि ये उनके “प्राइवेसी (निजता) अधिकार का हनन है.”