दुनिया में अलग अलग मोर्चों पर छिड़ी जंग के बीच दो महाशक्तियों ने वैचारिक मतभेदों के बावजूद मुलाकात की है. चार दिवसीय अमेरिका दौरे पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जो बाइडेन से अहम मुलाकात की. चार घंटे की मैराथन चर्चा के बाद बाइडेन ने शी को भले ही एक बार फिर ‘तानाशाह’ करार दिया लेकिन इतना जरूर कहा कि अमेरिका की तरह चीन भी अब एक ‘जिम्मेदार देश’ बन गया है.
छह साल बाद अमेरिका पहुंचे शी जिनपिंग का भले ही गर्मजोशी से अमेरिका में स्वागत किया गया पर अमेरिकी राष्ट्रपति के तल्ख सुर चीन के लिए पहले जैसे ही हैं. यही हाल चीन का भी है, सैन-फ्रांसिस्को में बाइडेन और शी जिनपिंग के मीटिंग के बाद चीन ने यहां तक कह डाला कि हमें रोकना मुश्किल है.
मुलाकात हुई पर बात बनी ?
सैन फ्रांसिस्को में चल रही एपेक यानी ‘एशिया-पैसेफिक इकोनॉमिक को-ऑपरेशन’ समिट के लिए शी जिनपिंग अमेरिका पहुंचे. एपेक से अलग जिनपिंग और जो बाइडेन में मुलाकात हुई. कैलिफोर्निया के वुडसाइड में फिलोली एस्टेट में बाइडन और जिनपिंग की मुलाकात हुई. बाइडेन और शी ने चार घंटे एक साथ बिताए. चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, जिनपिंग ने मुलाकात में बाइडेन को दो टूक कह दिया है कि “चीन को दबाने की या फिर रोकने की कोशिश बिलकुल न की जाए.” ग्लोबल टाइम्स में दावा किया गया है कि जिनपिंग ने बाइडन से कहा है कि ‘चीन, पुराने उपनिवेशवाद के रास्ते पर नहीं चलता. चीन अमेरिका से आगे निकलने या उसे पावर से हटाने की कोशिश नहीं करता है. चीन की अमेरिका को दबाने की या फिर उसकी जगह लेने की कोई मंशा नहीं है. चीन और अमेरिका जैसे दो बड़े देशों के लिए, एक-दूसरे से तल्खी या मुंह मोड़ देना कोई विकल्प नहीं है.”
ताइवान पर हमले का इरादा नहीं: जिनपिंग
इन दिनों चीन और ताइवान में भी संघर्ष की तस्वीरें देखने को मिली हैं. लेकिन जिनपिंग ने बैठक के दौरान ये साफ साफ कहा है कि “चीन की ताइवान पर हमले की कोई प्लानिंग नहीं है.” द्विपक्षीय बैठक के दौरान जिनपिंग ने कहा, अमेरिका ताइवान को हथियार देना बंद करे. हाल ही में अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची थीं, जिसे लेकर चीन ने सख्त नाराजगी जताई थी.
इजरायल-हमास युद्ध पर हुई बात
इजरायल-हमास के बीच चल रहे जंग में कुछ रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया था कि हमास आतंकियों को चीनी सपोर्ट मिला था. मोसाद के फेल होने के पीछे भी चीनी टेक्नोलॉजी की बातें सामने आई थीं. ऐसे में अमेरिका ने हमास-इजरायल जंग में ईरान पर दबाव बनाने के लिए भी चीन से अपील की है, जो हमास और हिजबुल्लाह को वित्तीय-सैन्य मदद पहुंचा रहा है.
बाइडेन ने फिर जिनपिंग को बताया तानाशाह
जो बाइडेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “जिनपिंग एक ऐसे तानाशाह हैं, जो कम्युनिस्ट देश चलाते हैं. चीन की सरकार हमारी सरकार से बिल्कुल अलग है.” मुलाकात के बाद जो बाइडेन का दोबारा जिनपिंग को तानाशाह बताना चीन को नाराज कर सकता है. पर शी जिनपिंग के साथ हुई अपनी बैठक जो बाइडेन ने सफल बताया है. जो बाइडेन ने कहा है कि मेरी जिनपिंग से “बहुत अच्छी बातचीत हुई.” “हमने कई मुद्दों पर गंभीर और सकारात्मक चर्चा की. हम वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करते हैं और ये कभी नहीं बदलने वाला है.” जिनपिंग के साथ शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के साथ अच्छे संबंधों की बात कही थी. जो बाइडेन ने कहा कि “दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन से अलग होने की कोशिश नहीं कर रही है, बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ संबंध ठीक कर रही है. अमेरिका और चीन को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रतिस्पर्धा किसी भी तरह के संघर्ष में न बदले.”
किन मुद्दों पर अमेरिका-चीन में सहमति बनी?
अमेरिका-चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को न्यूक्लियर कमांड से दूर रखने पर सहमति बनी. वन-टू-वन बैठक के बाद बाइडेन ने घोषणा की कि चीन फेंटानिल ड्रग के कॉम्पोनेंट्स पर कंट्रोल करेगा, जिससे अमेरिका की ड्रग समस्या पर लगाम लगाई जा सके. इसके अलावा मिलिट्री कम्युनिकेशन पर भी सहमति बनी ताकि कोई गलती न हो और लड़ाई की नौबत न आए.
बाइडेन ने बताया चीन को जिम्मेदार-राष्ट्र
मुलाकात के बाद बाइडेन ने एक्स (ट्विटर) पर चीन और अमेरिका, दोनों को ‘जिम्मेदार-देश’ करार दिया. अभी तक अमेरिका और पश्चिमी देश चीन को नॉर्थ कोरिया, ईरान और क्यूबा रोग-देशों (दुष्ट-राष्ट्रों) की श्रेणी में रखते थे. ताइवान के खिलाफ आक्रामक रवैया, दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने, भारत जैसे पड़ोसी देशों की सीमाओं पर घुसपैठ और साउथ चायना सी (दक्षिण चीन सागर) में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के खिलाफ दादागिरी के चलते चीन को अभी तक एक जिम्मेदार-देश नहीं माना जाता था.
बाइडेन ने की शी की कार की तारीफ
मुलाकात के बाद बाइडेन चीनी राष्ट्रपति को जब बाहर तक छोड़ने आए तो शी की कार की तारीफ किए बिना न रह सके. दो बुजुर्ग राष्ट्राध्यक्षों की युवाओं की तरह लग्जरी कार को लेकर दिलचस्पी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. बाइडेन और शी का ये वीडियो काफी वायरल हो रहा है.
‘गुब्बारे’ और ताइवान ने बढ़ा दी थी तल्खी
इस साल फरवरी के महीने में अमेरिका में चीन के जासूसी गुब्बारे देखे गए थे. जासूसी गुब्बारे अमेरिका के मोंटाना सहित कई संवेदनशील जगहों के ऊपर उड़ते देखा गया था. बैलून 3 बसों के बराबर थे. जासूसी गुब्बारे को मार गिराए जाने के बाद अमेरिकी और चीन के संबंध और खराब हो गए थे. तनातनी इतनी बढ़ गई थी कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपना चीन का दौरा तक रद्द कर दिया था. चीन ने गुब्बारा मार दिए जाने के बाद कड़ा रुख अख्तियार किया था. और चीन ने गुब्बारे को जासूसी नहीं बल्कि मौसम पता लगाने वाला गुब्बारा बताया था. समंदर में गुब्बारा गिराने के बाद चीन ने अमेरिका के एक्शन को अंतरराष्ट्रीय अभ्यास का उल्लंघन करार दिया था तो चीनी गुब्बारे पर प्रतिक्रिया देते हुए जो बाइडेन ने शी जिनपिंग को तानाशाह बताया था. ताइवान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने 8 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता जारी की है ताकि वो अमेरिकी सैन्य हथियारों को खरीद सके. पिछले 40 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिका ने ताइवान को अमेरिकी हथियार खरीदने के लिए अपना पैसा दिया. जिस पर चीन ने कहा था कि अमेरिका आग से खेल रहा है.
अमेरिका में हुई शी जिनपिंग और जो बाइडेन की ये मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थी. दरअसल दोनों नेता 2022 में जी-20 के बाद से नहीं मिले थे. रूस-यूक्रेन के युद्ध के दौरान अमेरिका जहां यूक्रेन का साथी है तो चीन ने शुरुआत से ही रूस को सही बताया है. ताइवान-चीन के बीच बढ़ रहे तनाव में ताइवान के साथ अमेरिका खड़ा है. अलग अलग मुद्दों की वजह से यूएस-चीन व्यापार संबंध भी बहुत अच्छे नहीं हैं. ऐसे में बाइडेन-जिनपिंग की मुलाकात से क्या निकलेगा? क्या परस्पर संबंध बनेंगे या अभी भी दोनो महाशक्तियों में भविष्य में टकराव देखने को मिलेगा?