इजरायल-हमास के बीच चल रही जंग के बीच एक अमेरिकी युद्धपोत पर हुए ड्रोन अटैक के बाद हड़कंप मच गया है. हमले की पुष्टि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने की है. हमला लाल सागर में किया गया है. ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का दावा है कि अमेरिकी युद्धपोत के साथ-साथ लाल सागर में कई वाणिज्यिक जहाजों को भी निशाना बनाया गया है. यमन के हूती विद्रोहियो ने दो जहाजों पर हमला का दावा करते हुए जहाज के इजरायली कनेक्शन की बात कही है पर हूती विद्रोहियों ने अमेरिकी वॉरशिप पर अटैक की बात खारिज कर दी है. अगर हूती विद्रोहियों ने अमेरिकी युद्धपोत को निशाना नहीं बनाया तो फिर हमले के पीछे कौन है ?
लाल सागर में हो रहा अटैक
गाजा में इजरायली हमले के बाद यमन के हूती विद्रोही भी सक्रिय हो गए हैं. हूती विद्रोही लगातार इजरायल को टारगेट करके हमला कर रहे हैं. सबसे पहले ब्रिटिश सेना ने लाल सागर में एक संदिग्ध ड्रोन हमला और विस्फोट होने को लेकर अलर्ट किया. विद्रोही इजरायल को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइल भी दाग रहे हैं. अमेरिका का दावा है कि हमला यमन के साना में रविवार सुबह लगभग 10 बजे शुरू हुआ और पांच घंटे तक चला. नवंबर के महीने में ही हूती विद्रोहियों ने भारत आ रहे एक जहाज को इजरायली कनेक्शन बताते हुए हाईजैक कर लिया था. हूती विद्रोही हेलीकॉप्टर के जरिए ब्रिटिश जहाज पर आए और फिर जहाज पर सभी लोगों को हथियार के दम पर काबू कर लिया था. हाईजैकिंग की इजरायल, अमेरिका समेत कई देशों ने निंदा की थी. जहाज हाईजैकिंग का सनसनीखेज वीडियो भी सामने आया था.
हूती विद्रोहियों पर पेंटागन की पैनी नजर
हूती विद्रोहियों ने हालांकि इस बात से इनकार किया है कि अमेरिकी वॉरशिप पर निशाना बनाया गया. पर अटैक के बाद अमेरिका को इस बात का शक है कि ईरान के समर्थन से हूती विद्रोहियों ने ही ड्रोन अटैक किया है. इजरायल को अमेरिका के समर्थन के बाद ईरान लगातार अमेरिका और अमेरिका का समर्थन देने वाले देशों को निशाना बना रहा है. इजरायल और सऊदी अरब के खिलाफ ईरान आए दिन आग उगल रहा है. पेंटागन ने आधिकारिक बयान में कहा है कि “हम यूएसएस कार्नी और लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों पर हमलों से अवगत हैं और जैसे ही विस्तृत जानकारी उपलब्ध होगी हम देंगे.”
मिडिल ईस्ट में अमेरिकी नौसेना का दबदबा
मिडिल ईस्ट के कई देशों में अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं. मिडिल ईस्ट में अमेरिका सबसे बड़ी सैन्य ताकत है. अमेरिकी नौसेना का पांचवां बेड़ा मिडिल ईस्ट में तैनात है. हाल के इजरायल हमास युद्ध के दौरान भी अमेरिकी नौसेना ने अपने दो कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को इसी इलाके में तैनात किया है. इसके अलावा नाटो देशों के युद्धपोत भी मिडिल ईस्ट में लगातार गश्त लगा रहे हैं.
क्या है अमेरिका की रणनीति?
माना जा रहा है कि अमेरिकी जल्द हमले का जवाब देगा, क्योंकि अपनी सेना पर हुए हमले को अमेरिकी बिलकुल बर्दाश्त नहीं करता है. इसी साल अक्टूबर के महीने में ही अमेरिका ने सीरिया स्थित ईरान से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाया था क्योंकि उन ठिकानों से अमेरिकी सैनिकों पर हमला किया गया था. पूर्वी सीरिया से हुए अटैक में 45 अमेरिकी जवान घायल हुए थे. अब वॉरशिप पर अटैक के बाद अमेरिका हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी अरब की लड़ाई को एक बार फिर समर्थन दे सकता है. क्योंकि सउदी अरब हूती विद्रोह की आग में जल रहा है. इसके अलावा अमेरिका मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य ताकत और मजबूत कर सकता है.