“युद्ध को टालना है तो युद्ध के लिए तैयारी करो.” ये कहा देश के जाने माने डिफेंस जर्नलिस्ट और वॉर-लेखक नीरज राजपूत ने 64वें फोसवाल लिटरेचर फेस्टिवल (3-6 दिसंबर) के समापन समारोह में दिए अपने व्याख्यान में.
एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के तत्वाधान में आयोजित 64वें फोसवाल (एफओएसडब्लू) यानी फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर में इस साल का थीम था ‘एंगुईश ओवर टू सेंसलेस वॉर’ (इजरायल-हमास और रुस-यूक्रेन युद्ध). इस समारोह में भारत सहित नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश के लेखक और कवियों ने हिस्सा लिया.
समापन समारोह के आखिरी व्याख्यान में बोलते हुए टीएफए के एडिटर इन चीफ, नीरज राजपूत ने साफ तौर से कहा कि ‘मत्स्य-न्याय’ के तहत शक्तिशाली देश, छोटे और कमजोर देशों के खिलाफ आक्रमण या फिर उन्हें कब्जा करने की कोशिश करते हैं. पहले रूस-यूक्रेन युद्ध और फिर इजरायल-हमास युद्ध ने दिखा दिया है कि हरेक देश को सैन्य तौर से और आंतरिक तौर से बेहद मजबूत होने की जरूरत है.
शीत-युद्ध का उदाहरण देते हुए नीरज राजपूत ने कहा कि अमेरिका और सोवियत संघ में कभी भी इसलिए युद्ध नहीं हुआ क्योंकि दोनों ही देश एक दूसरे की ताकत से वाकिफ थे. उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में गलवान घाटी की झड़प के दौरान चीन ने भारत से इसलिए विवाद को नहीं बढ़ाया क्योंकि चीन अब जान चुका है कि भारत एक शक्तिशाली और परमाणु संपन्न देश है. इसलिए चीन अब भारत से कोई विवाद बढ़ाना नहीं चाहता है.
तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत द्वारा रोमन की कहावत, “शांति चाहिए तो युद्ध की तैयारी करो” वाला वक्तव्य दोहराते हुए उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि भारत को सैन्य तौर से मजबूत होने के साथ-साथ राजनयिक तौर से भी शक्तिशाली बनना होगा. इसके अलावा आंतरिक तौर से भी एकजुट होने की जरूरत है ताकि आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सके.
नीरज राजपूत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक बुक लिखी है ‘ऑपरेशन जेड लाइव’, जिसे इस साल के मध्य में दिल्ली के प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया था. फोसवाल समारोह के तीसरे दिन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर की संस्थापक और प्रख्यात लेखिका अजीत कौर, जाने-माने राजनीतिक मनोवैज्ञानिक आशीष नंदी और अमर उजाला के रेजीडेंट एडिटर देव प्रकाश चौधरी की मौजदूगी में ऑपरेशन जेड लाइव का बुक-रिलीज कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.