अरब सागर में भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो (मार्कोस) ने एक बड़े ऑपरेशन में लाईबेरिया के एक व्यापारिक जहाज को सोमालियाई लुटेरों के कब्जे से छुड़ाकर सभी 21 क्रू-सदस्यों को सकुशल बचा लिया है. उत्तरी अरब सागर के इस मिशन में मार्कोस के साथ एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन, हेलीकॉप्टर, पी8आई एयरक्राफ्ट और आईएनएस चेन्नई युद्धपोत की मदद भी ली गई.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, इंडियन नेवी के एयरक्राफ्ट और युद्धपोत की जबरदस्त चेतावनी के बाद समुद्री-लुटेरे जहाज को छोड़कर भाग खड़े हुए. मार्कोस कमांडो ने पूरे जहाज को सैनिटाइज करने के बाद साफ कर दिया है कि हाईजैकर ऑन-बोर्ड नहीं है. भारतीय नौसेना के मुताबिक, बचाए गए लाइबेरियाई जहाज एमवी लीला नॉरफोक में 21 क्रू-मेम्बर्स में से 15 भारतीय नागरिक हैं.
दरअसल, गुरूवार की शाम को लाईबेरिया के इस बल्क-कैरियर (बड़े व्यापारिक जहाज) ने यूकेएमटीओ (यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रैफिक ऑपरेशन्स) पॉर्टल पर एक मैसेज भेजा था कि 5-6 हथियारबंद लोग जहाज पर चढ़ गए हैं. इसके बाद ही नौसेना तुरंत हरकत में आई और अपने एक मेरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (पी8आई) को वहां भेजा. शुक्रवार की सुबह, पी8आई ने एमवी लीला नॉरफोक से संपर्क साधा. इसके अलावा भारतीय नौसेना का युद्धपोत, आईएनएस चेन्नई भी इस जहाज के करीब पहुंच गया जिस पर मरीन कमांडो और हेलीकॉप्टर तैनात थे.
क्रू-मेंबर्स ने अपने आप को जहाज के ही एक सिटेडल यानी सुरक्षित बैरक में बंद कर लिया था. इसके बाद जहाज समंदर में खुद चल रहा था और उसकी पावर भी खत्म होने वाली थी.
मरीन कमांडो के ऑपरेशन के दौरान अमेरिका से लीज पर लिए गए एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन ने पूरी गतिविधि को रिकॉर्ड किया. प्रीडेटर ड्रोन द्वारा लिए गए वीडियो को भारतीय नौसेना ने मीडिया से साझा किया है. ये पहली बार है कि भारतीय नौसेना ने किसी समुद्री ऑपरेशन में प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल किया है. (https://youtu.be/W1mqGz7NMZg?si=1YS3C4Y56mHXWYXx)
मिशन पूरा होने के बाद भारतीय नौसेना ने बताया कि आईएनएस चेन्नई युद्धपोत लीला जहाज के करीब है और पावर जेनरेशन से लेकर प्रोपलशन और आगे की यात्रा में मदद प्रदान कर रहा है.
14 दिसंबर को भी सोमालियाई दस्यु ने माल्टा के एक व्यापारिक जहाज, एमवी रुऐन को हाईजैक कर लिया था. ये समुद्री-लुटेरे एमवी रुऐन को अपने साथ सोमालिया ले गए थे. उस दौरान भी भारतीय नौसेना ने अपने पी8आई लॉन्ग रेज मैरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट और आईएनएस कोच्चि युद्धपोत को सहायता के लिए भेजा था. लेकिन जब पायरेट्स माल्टा के जहाज को सोमालियाई समुद्री-सीमा में ले गए थे तो आईएनएस कोच्चि ने पीछा करना बंद कर दिया था और वापस लौट गए थे.
इस घटना के बाद से हॉर्न ऑफ अफ्रीका और अरब सागर में व्यापारिक जहाज की सुरक्षा पर सवाल तो खड़े हो ही रहे थे भारत की साख पर भी सवाल खड़े हो रहे थे. क्योंकि हिंद महासागर में भारतीय नौसेना एक नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर के तौर पर मानी जाती है. भारत के नेवल एक्सपर्ट कमोडोर अनिल जय सिंह (रिटायर) ने टीएफए से खास बातचीत में बताया कि “साख के अलावा भारतीय नौसेना एक जिम्मेदार समुद्री-ताकत है. ऐसे में ये भारतीय नौसेना की जिम्मेदारी और कर्तव्य बनता है कि उनके एरिया ऑफ रेस्पोंसिबिलिटी (एओआर) में होने वाली किसी भी खतरे को नाकाम करे.” (https://www.youtube.com/live/2nUBT15CQ7E?si=wyOZlSAafxwTA8Cl)
इजरायल-हमास युद्ध के चलते ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोही रेड सी (लाल सागर ) में इजरायल और अमेरिका के जहाज पर हमला कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि सोमालियाई पायरेट्स भी हॉर्न ऑफ अफ्रीका में एक्टिव हो गए हैं और वहां से गुजर रहे व्यापारिक जहाज को हाईजैक करने और लूटने में जुट गई है. यही वजह है कि भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी निगरानी काफी तेज कर दी है. आईएनएस चेन्नई, आईएनएस कोच्चि, आईएनएस मोरमुगाओ सहित फ्रीगेट्स का एक बड़ा जंगी बेड़ा अरब सागर में तैनात किया गया है. इसके अलावा पी8आई, प्रीडेटर और हेरॉन ड्रोन से समंदर पर बारीकी से नजर रखी जा रही है ताकि सी-लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन में किसी भी तरह की कोई बाधा ना आ पाए.
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