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MQ-9 डील पक्की लेकिन भारत खिन्न !

अमेरिका ने भले ही भारत को एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन देने का ऐलान कर दिया है लेकिन भारत इससे खुश नहीं है. क्योंकि अमेरिका के रक्षा मंत्रालय (विभाग) ने अपने बयान में ये तक जानकारी दे दी है कि 31 एमक्यू-9 स्काई गार्जियन ड्रोन के साथ कितनी हेलफायर मिसाइल और गाइडेड बम दिए जाएंगे. 

सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की जानकारी साझा करने से भारत के दुश्मन देशों को साफ पता चल जाएगा कि भारत के पास ड्रोन की कितनी शक्ति है. भारत के पड़ोसी और दुश्मन देश पाकिस्तान को भी तुर्की से कॉम्बेट ड्रोन बायरेक्टर मिल चुका है और उसे लाहौर के करीब तैनात करने की पूरी तैयारी भी कर ली है. लेकिन पाकिस्तान और तुर्की ने अभी तक इस बात का खुलासा नहीं किया है कि कितने बायरेक्टर ड्रोन का सौदा हुआ है. यहां तक की बायरेक्टर ड्रोन में कौन सी मिसाइल और हथियार लगेंगे और पाकिस्तान को कितनी मिसाइल और बम इस सौदे में मिले हैं इसका आज तक खुलासा नहीं हुआ है.

पाकिस्तान ने तो अभी तक सार्वजनिक तौर से इस बात को भी नहीं कबूला है कि उसने तुर्की से बायरेक्टर ड्रोन का कोई सौदा भी किया है. लेकिन एक एक्सरसाइज के दौरान इन बायरेक्टर टीबी2 ड्रोन का यूनिफॉर्म पैच मिलने से इस बात का खुलासा हो गया. 

दरअसल, गुरुवार को अमेरिका ने भारत को बेहद घातक एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन देने का ऐलान किया था. अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी देश की संसद (कांग्रेस) को भारत को एमक्यू-9बी रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट देने का सर्टिफिकेट जारी कर दिया. इससे ये बात तो साफ थी कि खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का मामला दोनों देशों के रक्षा सहयोग के आड़े नहीं आया है. 

लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बड़ी चूक कर दी. ये अनजाने में थी या जानबूझकर की गई थी, ये साफ नहीं है. सौदे के बारे में बताते हुए अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (रक्षा मंत्रालय) की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने बयान जारी कर बताया कि कांग्रेस को एमक्यू-9बी आरपीए और उससे संबंधित उपकरणों की 3.99 बिलियन डॉलर (करीब 33 हजार करोड़) के सौदे के बारे में जानकारी दे दी गई है. बयान में बताया कि भारत ने 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्डियन एयरक्राफ्ट और उसके साथ 170 हेलफायर मिसाइल, 310 लेजर स्मॉल डायामीटर बम, ग्लोबल पोजिशनिंग एंड इनरशियल नेविगेशन सिस्टम सहित अन्य उपकरण खरीदने का आग्रह किया था. उसी के लिए रक्षा विभाग ने कांग्रेस (संसद) को जानकारी दी है. 

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एमक्यू-9बी प्रीडेटर (रीपर के आर्म्ड वर्जन) खरीदने को लेकर बातचीत हुई थी. इस बीच अमेरिका में रह रहे खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में भारत के एक सरकारी अधिकारी के हाथ आने से दोनों देशों के बीच संबंधों में थोड़ी खटास आ गई थी.

गणतंत्र दिवस समारोह (26 जनवरी) में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत आने से इंकार कर दिया था. ऐसे में इस बात के कयास लगने शुरु हो गए थे कि क्या अमेरिका अब भारत को एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन देगा भी या नहीं. लेकिन अमेरिकी रक्षा विभाग के बयान से कयासों का दौर थम गया है. अमेरिका रक्षा विभाग ने इस बाबत एमक्यू-9बी ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम को जानकारी दे दी है.

अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक, इस सौदे (एमक्यू-9बी) से भारत और अमेरिका के बीच सामरिक संबंध मजबूत होंगे और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता और आर्थिक खुशहाली आएगी. इसके साथ ही समंदर में निगहबानी रखी जा सकेगी और किसी भी खतरे से निपटने में ये ड्रोन सहायक होंगे.  

हिंद महासागर की निगहबानी और चीन-पाकिस्तान से सटी एयरस्पेस की निगरानी के लिए भारत को 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की आवश्यकता है. इनमे से 15 ड्रोन (सी-गार्डियन) भारतीय नौसेना के लिए हैं और 8-8 वायुसेना और थलसेना के लिए हैॆ. करीब 40 हजार फीट की ऊंचाई पर 36 घंटे तक आसमान में रहकर निगरानी रखने वाले एमक्यू-9बी हेल (एचएएलई) यानी हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन हैं. क्योंकि यूएस एमक्यू-9बी ड्रोन के साथ हेलफायर मिसाइल और लेजर गाइडेड बम भी दे रहा है, इससे साफ है कि ये कॉम्बेट यानी हमला करने वाले ड्रोन हैं. पहले इस बात को लेकर साफ-साफ कुछ नहीं कहा गया था.

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