म्युनिख मे विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन के समकक्ष वांग यी से हुई मुलाकात के महज 48 घंटे के भीतर ही पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर दोनों देशों के मिलिट्री कमांडर्स ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए 21वें दौर की बैठक की. सोमवार को ये बैठक सीमा पर पूरी तरह से डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी करने के लिए की गई. सोमवार को ये बैठक चुशूल-मोल्डो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर आयोजित की गई.
गलवान घाटी की झड़प (जून 2020) के बाद से भारत और चीन की सेनाओं के 50-50 हजार सैनिक, टैंक, तोप और मिसाइल पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तैनात हैं. 20 दौर की बैठक के बाद पूर्वी लद्दाख में पांच फ्लैश-पॉइंट (विवादित इलाकों) से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं. लेकिन अभी भी कुछ ऐसे विवादित इलाके हैं जहां फेस-ऑफ जारी है यानी भारत और चीन की सेनाओं आमने-सामने हैं. यही वजह है कि सोमवार को बैठक का आयोजन किया गया.
भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि पिछले दौर की हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि सभी (विवादित) इलाकों से पूरी तरह से डिसएंगेजमेंट ही भारत और चीन के सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखने का आधार है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों ही पक्षों (भारत और चीन) ने मित्रता और सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपना दृष्टिकोण साझा किया.
दरअसल, पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीओबी) और देपसांग (डेपसांग) प्लेन सहित डेमचोक जैसे पुराने विवादित इलाके हैं जहां दोनों देशों की सेनाओं में पिछले एक-डेढ़ दशक से विवाद चल रहा है. ऐसे में दोनों देश चाहते हैं कि लिगेसी मुद्दों को भी जल्द से जल्द सुलझा लिया जाए.
शनिवार को ही विदेश मंत्री जयशंकर ने म्युनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस (एमससी) में शामिल होने के दौरान चीन के समकक्ष से छोटी सी मुलाकात की थी. इस मुलाकात का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें दोनों देशों के विदेश मंत्री बातचीत करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.
सोमवार की कमांडर्स स्तर की बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश इस बात के लिए सहमत हैं कि सैन्य और राजनयिक प्रक्रियाओं के जरिए आगे का कम्युनिकेशन जारी रहेगा. इसके साथ ही जबतक सभी विवादित इलाकों को लेकर कोई हल नहीं निकलता है तब तक बॉर्डर एरिया में शांति और सौहार्द बनाना जारी रखें.
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