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हिंद महासागर में दादागिरी बर्दाश्त नहीं: राजनाथ

चीन और मालदीव के डिफेंस एग्रीमेंट के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि भारत, हिंद महासागर में बाकी देशों की स्वायत्तता और संप्रभुता की रक्षा कर रहा है. भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी देश आधिपत्य का प्रयोग न करे.

मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गोवा के नेवल वॉर कॉलेज में नए प्रशासनिक और प्रशिक्षण भवन का उद्घाटन किया जिसे प्राचीन दक्षिण समुद्री साम्राज्य ‘चोल’ (वंश) का नाम दिया गया है. इस दौरान उन्होंने नौसैनिकों को संबोधित करते हुए साफ कहा कि  भारत की बढ़ती शक्ति प्रभुत्व के लिए नहीं बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति व समृद्धि का वातावरण बनाने के लिए है.

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में नए तरीकों से खतरों से निपटने की बात भी की जिसके तहत भूमि आधारित चुनौतियों के साथ ही समुद्री खतरों का भी समाधान किया जा रहा है. राजनाथ सिंह ने कहा कि “इससे पहले लगभग सभी सरकारों ने थलसेना को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया लेकिन समुद्री खतरों को उतना महत्व नहीं दिया गया.” उन्होंने कहा कि “हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में हमारे विरोधियों की बढ़ती आवाजाही और क्षेत्र के वाणिज्यिक महत्व को देखते हुए, हमारे खतरे की धारणा का पुनर्मूल्यांकन करना और तदनुसार हमारे सैन्य संसाधनों व रणनीतिक ध्यान को फिर से संतुलित करना आवश्यक था.” 

रक्षा मंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब मंगलवार को ही मालदीव ने चीन के साथ एक सीक्रेट ‘मिलिट्री डील’ की है. हालांकि, इस समझौते के बारे में दोनों देशों ने ज्यादा खुलासा नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि चीन ने मालदीव को सुरक्षा प्रदान करने का वादा किया है. दोनों देशों ने ऐसे समय में ये सैन्य समझौता किया है जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के कहने पर भारत ने अपने हेलीकॉप्टर पर तैनात सैन्यकर्मियों को माले से वापस बुलाकर उनकी जगह सिविलियन कर्मियों को तैनात किया है.  

राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमने आईओआर में भारत की भूमिका की न केवल नए सिरे से कल्पना की बल्कि उसे मजबूत भी किया. इन प्रयासों के कारण भारत आज आईओआर में ‘फर्स्ट रेस्पॉन्डर’ और ‘पसंदीदा सिक्योरिटी पार्टनर’ के रूप में उभरा है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने आज यह सुनिश्चित किया गया है कि आईओआर में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को मजबूत किया जा सके. उन्होंने कहा, ”भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि हिंद महासागर के सभी पड़ोसी देशों को उनकी स्वायत्तता और संप्रभुता की रक्षा करने में मदद की जाए। हमने सुनिश्चित किया है कि क्षेत्र में कोई भी आधिपत्य का इस्तेमाल नहीं करे.

राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी देश अपनी भारी आर्थिक और सैन्य शक्ति के साथ मित्र देशों पर प्रभुत्व का दावा करने या उनकी संप्रभुता को खतरा पहुंचाने में सक्षम न हो. जिस तत्परता से नौसेना अपने सहयोगियों के साथ खड़ी है, वह भारत के वैश्विक मूल्यों को ठोस मजबूती प्रदान करती है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र के माध्यम से भारत ने विश्व में सभी को एक साथ लेकर चलने का अनूठा मूल्य दिया है. उन्होंने कहा कि अगर भारत मजबूत होगा तो न केवल आसपास के क्षेत्र प्रगति करेंगे, बल्कि लोकतंत्र और कानून का शासन भी मजबूत होगा.

रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में सुरक्षा वातावरण को मजबूत करने और अपने समुद्री डकैती रोधी व तस्करी विरोधी अभियानों के माध्यम से वैश्विक कैनवास पर भारत के लिए सद्भावना पैदा करने के लिए नौसेना की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना की मुस्तैदी के कारण इन घटनाओं में कमी आई है, लेकिन खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. उन्होंने समुद्र के नीचे के तारों पर हाल में हुए हमलों का जिक्र करते हुए इस तरह की घटनाओं को रणनीतिक हितों पर सीधा हमला करार दिया. उन्होंने नौसेना से ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया.

इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में नौसेना बेस, कारवार में दो प्रमुख पायर्स का उद्घाटन किया. इसके बाद रक्षा मंत्री ने सीडीएस जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख सहित टॉप मिलिट्री कमांडर्स के साथ नेवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया. ये सम्मेलन समंदर में हाइब्रिड तरीके से किया गया. इसके अलावा राजनाथ सिंह ने नौसेना के टू-इन एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत के एक साथ ऑपरेशन्स की समीक्षा की. 

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