एलएसी पर चल रही तनातनी और चीन की भूटान से दोस्ती बढ़ाने की साजिश के बीच गुरुवार को भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. तोबगे पांच दिवसीय भारत दौरे पर राजधानी दिल्ली आए हैं (14-18 मार्च).
इसी साल जनवरी के महीने में भूटान के पीएम पद की कमान संभालने के बाद तोबगे की ये पहली विदेश यात्रा है. गौरतलब है कि उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री ने पिछले साल ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि डोकलाम विवाद में भारत और चीन के साथ ‘भूटान भी बराबरी’ का साझेदार है.
दिल्ली पहुंचने पर तोबगे का अगवानी केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने की. गुरुवार की शाम तोबगे ने पीएम मोदी से 7 एलकेएम स्थित आधिकारिक निवास पर मुलाकात की. पीएम मोदी ने बेहद गर्मजोशी से तोबगे का स्वागत किया. इस दौरान भूटान के विदेश, ऊर्जा और औद्योगिक मंत्री भी मौजूद रहे जो तोबगे के साथ भारत के दौरे पर आए हैं.
तोबगे की भारत यात्रा पर विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि दोनों देश के बीच सभी स्तरों पर विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ पर आधारित मित्रता और सहयोग के अनुकरणीय संबंध हैं. भूटान के प्रधानमंत्री की यात्रा दोनों पक्षों को हमारी अनूठी साझेदारी में प्रगति की समीक्षा करने और भारत और भूटान के बीच मित्रता और सहयोग के स्थायी संबंधों का विस्तार करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी.
भारत के लिए भूटान के पीएम की यात्रा इसलिए बेहद अहम है क्योंकि सिक्किम से सटी एलएसी के डोकलाम ट्राई-जंक्शन (इलाके) के करीब में चीन ने अपने मिलिट्री-विलेज स्थापित कर लिए हैं. हालांकि, ये गांव भूटान और चीन के बीच विवादित इलाकों में बनाए गए हैं लेकिन भारत को इस बात का पूरा अंदेशा है कि भारत के साथ हुए किसी भी तरह के विवाद के दौरान चीन इन गांवों को सैन्य छावनियों में तब्दील कर सकता है. क्योंकि ये गांव चीन ने पीएलए के पूर्व सैनिकों को बसाने के इरादे से बसाए हैं.
वर्ष 2017 में भारत ने चीन की सेना को डोकलाम में सड़क बनाने नहीं दी थी. इस दौरान 72 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच फेस-ऑफ (गतिरोध) हुआ था. उसके बाद से ही चीन ने भूटान से दोस्ती की पींग बढ़ाने शुरु कर दी हैं.
पिछले साल (2023) में चीन ने भूटान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए वार्ता भी की. करीब सात साल बाद दोनों देशों ने ये वार्ता की थी जिसके बाद भूटान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लोते शेरिंग (2018-23) ने डोकलाम विवाद में भारत और चीन के साथ भूटान को भी बराबरी का साझेदार बताया था. लोते शेरिंग के बयान के बाद भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने भारत का दौरा किया था (https://youtu.be/wf87OiuRy_0?si=0DpH_ECUAkJilvvd).
भूटान नरेश के भारत के साथ बेहद गहरे संबंध माने जाते हैं. ऐसे में मौजूदा प्रधानमंत्री तोबगे की भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री के साथ तस्वीरें एक्स अकाउंट पर साझा कर लिखा कि हमारी अनूठी और विशेष साझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर सार्थक चर्चा हुई. साथ ही अगले हफ्ते थिम्पू की यात्रा पर आमंत्रित करने के लिए भूटान नरेश का धन्यवाद दिया (https://x.com/narendramodi/status/1768289000765132923?s=20).
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