सीमा पर शांति बनाए रखने के इरादे से भारत और चीन के राजनयिकों के बीच 29 वें दौर की खास मीटिंग हुई है. मीटिंग के दौरान दोनों देशों ने डिप्लोमेटिक और मिलिट्री चैनल्स को बातचीत के लिए खुला रखने पर सहमति जताई.
चीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, बुधवार को बीजिंग में भारत के साथ 29 वें दौर की वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कन्सलटेशन एंड कोआर्डिनेशन की मीटिंग हुई. बैठक में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों की झड़प और विवाद रोकने को लेकर खास चर्चा हुई.
बैठक के दौरान दोनों देश जल्द ही अगले दौर की कोर कमांडर (मिलिट्री) स्तर के बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं. इसके साथ ही दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि बातचीत और समन्वय को सुधारा जाए.
ये मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि मेरा पहला कर्तव्य है देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना. जयशंकर ने कहा कि मैं सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कोई कंप्रोमाइज नहीं कर सकता हूं.
पिछले चार साल से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तनातनी चल रही है. गलवान घाटी की झड़प के बाद से दोनों देशों ने एक-एक लाख सैनिकों को एलएसी पर तैनात कर रखा है. पूर्वी लद्दाख के पांच फ्लैश-पॉइंट पर तो विवाद सुलझ चुका है लेकिन कुछ विवादित इलाकों पर तनातनी जारी है. यही वजह है कि दोनों देश राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के जरिए सभी विवाद सुलझाना चाहते हैं.
हालांकि, चीन बातचीत की बात का दम तो भरता है इस सबके बावजूद उसकी हरकतें उकसाने वाली हैं. हाल ही में चीन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर भी आपत्ति जताई थी. ऐसे में चीन के साथ बातचीत में भारत बेहद ही फूंक फूंक कर कदम रख रहा है.
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