पाकिस्तान में भुखमरी है, कंगाली है और ईरान में इजरायली अटैक का खतरा है. फिर भी ये दोनो देश ऐसे हैं कि अपने गिरेबान में झांकने के बजाए भारत में ताका-झांकी करने में लगे हुए हैं. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पाकिस्तान दौरे पर पहुंचे थे. अमेरिका ने ईरान के कान मरोड़ रखे थे, पर ना ना करते हुए ईरान ने कश्मीर पर गिरगिट की तरह रंग बदल लिया. इजरायल के खिलाफ पाकिस्तान के साथ दुश्मनी भुलाते हुए ईरान के सुर बदल गए. ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने पाकिस्तान में तीसरे और आखिरी दिन पाकिस्तान के साथ संयुक्त बयान में कश्मीर का जिक्र कर ही दिया. ईरान के बयान पर भारत ने भी पलटवार किया है करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत का अभिन्न अंग है.
शहबाज़ की बेइज्जती के बाद कश्मीर पर ईरान का बयान
ईरान और पाकिस्तान ने एक संयुक्त बयान जारी किया है. इस बयान में ईरान ने कश्मीर के मुद्दे पर अपनी राय दी है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि ईरान और पाकिस्तान दोनों ही देशों ने कश्मीर मुद्दे का समाधान “बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से वहां के लोगों की इच्छा तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक” करने पर जोर दिया है. पाकिस्तान ने कश्मीर पर ईरान के रुख पर आभार जताया है. हालांकि संय़ुक्त बयान से पहले ईरानी राष्ट्रपति रईसी ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान शहबाज शरीफ के कश्मीर का जिक्र करने पर किनारा कर लिया था. हालांकि इस बार भी ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने प्रत्यक्ष तौर पर कश्मीर पर कुछ नहीं कहा है. पर पाकिस्तान ने अपने और ईरान के संयुक्त बयान में कश्मीर का जिक्र किया.
भारत ने पाकिस्तान-ईरान के बयान को खारिज किया
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ईरान-पाकिस्तान के संयुक्त बयान को खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि “जम्मू कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत के अभिन्न अंग रहे हैं. किसी अन्य देश को इस पर टिप्पणी करने का कोई आधार नहीं है.” कश्मीर मुद्दे पर भारत पहले भी इस तरह के बयानों को खारिज करता रहा है.
कैसे हैं भारत-ईरान में संबंध ?
भारत और ईरान के बीच अच्छे राजनयिक और व्यापारिक संबंध हैं. गाजा पट्टी पर इजरायली हमले के दौरान भारत और ईरान के बीच कई बार बातचीत हुई थी. पिछले साल नवंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के बीच फोन पर बात हुई थी. पीएम मोदी और रईसी ने चाबहार बंदरगाह सहित द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति का स्वागत किया था. साथ ही गाजा में मानवीय सहायता जारी रखने, शांति बहाली और सुरक्षा की जरूरत पर जोर दिया था. पीएम मोदी ने इजरायल फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत के दीर्घकालीन रुख की प्रतिबद्धता जताई थी.
‘धोबी के कुत्ते’ की तरह पाकिस्तान की हालत
इजरायल से मुकाबला करने के लिए ईरान ने पाकिस्तान के साथ लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी को भुलाने की कोशिश की है. इब्राहिम रईसी आठ साल में पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले ईरानी राष्ट्रपति हैं. पाकिस्तान और ईरान कट्टर मुस्लिम देश हैं फिर भी संबंधों में खटास है.
ईरान ने इसी साल जनवरी में पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में कथित आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे. पाकिस्तान ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में आतंकवादी ठिकानों पर हमला करके पलटवार किया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे. अब संबंधों को सुधारने की कोशिश की गई है. पर पाकिस्तान की हालत धोबी के कुत्ते की तरह है, जो ना घर का है और ना घाट का है. ऐसी हालत इसलिए क्योंकि पाकिस्तान और ईरान की नजदीकी पर अमेरिका और सऊदी अरब की नजर हैं. अमेरिका और सऊदी अरब दोनों की ही देशों के ईरान से कट्टर दुश्मनी है.
रईसी के दौरे से ठीक पहले अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट में सहयोग करने वाली चीन की तीन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा इसी प्रोजेक्ट में मदद करने वाली एक बेलारुस की कंपनी को भी बैन का सामना करना पड़ा है. अमेरिका ने साफ कर दिया है कि जो भी देश ईरान के साथ सहयोग करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में अगर पाकिस्तान ने ईरान के साथ गैस पाइपलाइन पर विचार भी किया तो अमेरिका मुश्किलें खड़ी कर सकता है.