कश्मीर पर हमेशा भारत के खिलाफ बोलने वाले और पाकिस्तान के खास मित्र अजरबैजान ने भारत को गीदड़भभकी दी है. अजरबैजान ने भारत के साथ-साथ फ्रांस और ग्रीस को भी आर्मेनिया को हथियार देकर मदद ना करने के लिए धमकाया है. अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने कहा है कि “हम आर्मेनिया को की जा रही मदद को चुपचाप खड़ा रहकर देख नहीं सकते.” अजरबैजान के राष्ट्रपति ने भारत से मांग की है कि वो आर्मेनिया को हथियार देना बंद करे.
हम हथियार देने वाले देशों पर एक्शन लेंगे: अजरबैजान
अजरबैजान के राष्ट्रपति ने राजधानी बाकू में एक यूनिवर्सिटी के सम्मेलन में बोलते हुए आर्मेनिया को हथियार देने का मुद्दा उठाया. अलीयेव ने कहा, “जब आर्मेनिया को फ्रांस, भारत और ग्रीस हमारे खिलाफ हथियार देंगे तो हम चुपचाप नहीं बैठ सकते. वे खुलेआम और इसे दिखाते हुए ऐसा कर रहे हैं. जाहिर तौर पर वे देश आर्मेनिया को हथियार देकर कुछ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. पर हम भी हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे रह सकते.” अलीयेव ने कहा कि “हमने आर्मेनिया और उसे हथियार देने वाले देशों के सामने अपना रुख साफ कर दिया है. अगर हमारे देश की सुरक्षा को खतरा होगा तो हम इसके खिलाफ एक्शन लेंगे. आर्मेनिया हमारे खिलाफ अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है. वो हमारी सीमा पर अपने सैनिक तैनात कर रहा है.”
‘जैसे को तैसा है’ भारत की रणनीति
काराबाख को लेकर अजरबैजान और आर्मेनिया में लंबे समय से विवाद रहा है. दोनों देशों के बीच वर्ष 2020 में कुछ हफ्ते के लिए युद्ध भी हुआ था. पाकिस्तान और तुर्किए दोनों देश अजरबैजान का खुला समर्थन करते हैं और बदले में अजरबैजान कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को समर्थन देता है. भारत में मौजूद अजरबैजान के राजदूत ने भी ये बयान दिया था कि कश्मीर के मुद्दे पर हम हमेशा पाकिस्तान के साथ है. अजरबैजान के इस रुख के चलते आर्मेनिया के साथ भारत ने अपने संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत किए हैं. भारत ने पिछले साल जुलाई 2023 में आर्मेनिया को पिनाका रॉकेट लॉन्चर का पहला शिपमेंट भेजा था.
आर्मेनिया और भारत के बीच एक और डिफेंस डील है, जिसमें फ्रांस भी पार्टनर है. डिफेंस डील में भारत आर्मेनिया को स्वदेशी एंटी-एयर सिस्टम आकाश निर्यात करेगा. हवाई हमले रोकने वाली आकाश मिसाइल के अलावा तोप, गोला-बारूद और ड्रोन भी आर्मेनिया को दिया जा रहा है. पिनाका रॉकेट लॉन्चर के आर्मेनिया को सौंपे जाने के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति के सलाहकार हिकामत हाजियेव ने भारतीय राजदूत से मुलाकात की थी और आर्मेनिया को सैन्य सप्लाई देने का विरोध दर्ज कराया था. भारत और आर्मेनिया में सैन्य करार के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति ने कहा था कि “भारत और फ्रांस इस डील के जरिए आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. इन हथियारों के बाद भी आर्मेनिया काराबाख वापस नहीं ले सकता.”
आर्मेनिया के श्रम मंत्री नारेक मकर्चयन ने इसी साल फरवरी के महीने में एक इंटरव्यू में कहा था कि “हमें उम्मीद है कि आर्मेनिया और भारत दोनों देशों के रक्षा संबंध रणनीतिक साझेदारी में बदल जाएगी. आर्मेनिया पूर्व सोवियत देश है, जो अजरबैजान की दुश्मनी का सामना कर रहा है. मुझे उम्मीद है कि हमारे विदेश मंत्री भारत के साथ संबंध और गहरा करने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे”
बहरहाल ये तो तय है कि अजरबैजान के राष्ट्रपति की झूठी धमकी के आगे भारत तो नहीं झुकने वाला. आगे भी आर्मेनिया को भारत सहयोग करेगा क्योंकि आर्मेनिया कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ है.
भारत का जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, भारत के आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों के साथ अच्छे संबंध है. लेकिन भारत की ‘मेक इन इंडिया’ की पॉलिसी भी है जिसके तहत मित्र-देशों के हथियार एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
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