अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) के टी परनायक ने चीन के साथ सीमा से जुड़े नए समझौतों की मांग की है. क्योंकि मौजूदा समझौते ‘चीन के पक्ष’ में है जिससे भारतीय सैनिकों को एक ‘अदृश्य’ सीमा की सुरक्षा करनी होती है और जिसके कारण दोनों देशों की सेनाओं में झड़प सामने आती हैं.
अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के मुताबिक, लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से जुड़े “मौजूदा शांति प्रोटोकॉल चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पक्ष में हैं.” लेफ्टिनेंट जनरल परनायक का बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले चार सालों से पूर्वी लद्दाख (और अरुणाचल प्रदेश) से सटी एलएसी पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं.अरुणाचल प्रदेश का गवर्नर बनने से पहले परनायक भारतीय सेना की उत्तरी कमान के कमांडिंग इन चीफ (2011-13) भी रह चुके हैं. उत्तरी कमान के अंतर्गत ही पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी आती है (https://x.com/adgpi/status/1791472564218605599).
शुक्रवार को लेफ्टिनेंट जनरल परनायक राजधानी दिल्ली में लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत मेमोरियल लेक्चर में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे. इस दौरान थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे. लेफ्टिनेंट जनरल भगत ने ही 1962 में चीन के हाथों मिली हार के लिए गठित हैंडरसन ब्रुक्स रिपोर्ट बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. सरकार द्वारा गठित इस कमेटी की रिपोर्ट आज भी आधिकारिक तौर से ‘क्लासिफाइड’ है.
लेफ्टिनेंट जनरल परनायक ने रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय दोनों को ही चीन के साथ सीमा से जुड़े ‘नए प्रोटोकॉल’ तैयार करने का आह्वान किया ताकि एलएसी पर फेस-ऑफ और झड़पों को रोका जा सके. गलवान घाटी (जून 2020) की झड़प के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को सीमाक्षेत्रों से जुड़े समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया था. विदेश मंत्रालय ने भी आरोप लगाया था कि चीन ने शांति समझौतों को तोड़ते हुए एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा किया था.
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