ताइवान की सत्ता संभालते ही राष्ट्रपति चिंग-ते ने चीन को कड़ा संदेश दे दिया है. चिंग ते ने शपथ लेने के बाद ही ऐलान कर दिया है कि ताइवान को धमकाना बंद करे चीन. सोमवार को ताइवान में नए राष्ट्रपति की ताजपोशी हुई. चीन के धुर विरोधी माने जाते हैं चिंग-ते. खास बात ये है कि हाल तक अमेरिका में ताइवान की राजदूत रहीं तेज-तर्रार बि-किह्म हिसाओ अब ताइवान की उपराष्ट्रपति बनी हैं.
चीन हमें धमकाना बंद करे चीन: ताइवान के राष्ट्रपति
ताइवान के नए राष्ट्रपति चिंग ते ने शपथ लेने के बाद ही कह दिया है कि “ताइवान को धमकाना बंद करे चीन.” चीन हमेशा से ताइवान के अपना हिस्सा बताता रहा है. अक्सर ताइवान को धमकाने के लिए जंगी जहाज और लड़ाकू विमानों से ताइवान के सीमा का उल्लंघन करता है. ताइवान से अमेरिका की नजदीकी के बाद ताइवान को चीन में विलय करने की धमकियां देता रहा है. ताइवान के राष्ट्रपति चिंग ते ने शपथ के बाद चीन को हरकतों से बाज आने की सलाह देते हुए ऐलान किया कि वो “बीजिंग की धमकियों का विरोध करते हुए ताइवान की सुरक्षा को बढ़ाएंगे”. चिंग ते ने कहा, “अपने करीबी अमेरिका से रक्षा आयात बढ़ाएंगे. देश में ही सबमरीन, एयरक्राफ्ट का निर्माण करेंगे. हम राष्ट्रीय सुरक्षा, क्रॉस-स्ट्रेट मुद्दों और विदेश नीति में निरंतरता पर जोर देखेंगे.”
ताइवान के नए राष्ट्रपति के बारे में जानिए
ताइवान के नए राष्ट्रपति चिंग ते ने ताइपे में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. ताइवान के राष्ट्रपति ग्रहण के समारोह में 12 देशों का प्रतिनिधिमंडल शामिल रहा. अमेरिका, जापान, और यूरोप के कई प्रतिनिधियों ने शिरकत की. चिंग ते ने साई इंग-वेन से पदभार ग्रहण किया. चिंग ते से पहले साई इंग वेन 8 साल तक ताइवान के आर्थिक और सामाजिक विकास का नेतृत्व किया. लाई खुद पिछले चार साल से साई इंग-वेन के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे थे (https://x.com/ChingteLai/status/1792469133357154747).
ताइवान-अमेरिका में घनिष्ठता, चीन इसलिए है भड़कता
ताइवान के राष्ट्रपति के उद्घाटन के दिन ही चीन ने ताइवान को हथियारों की बिक्री को लेकर एक बड़ा एक्शन लिया है. चीन ने ताइवान को हथियार बेचने में शामिल होने के लिए बोइंग और दो दूसरी अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने बोइंग की रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा इकाई, जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम और जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम को “अविश्वसनीय संस्थाओं” की सूची में रखा है, चीन के एक्शन के बाद कंपनियां चीन ने निवेश नहीं कर पाएंगी और ना ही उस कंपनी के कोई अधिकारी चीन की यात्रा कर पाएंगे.