रुस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास जंग से साफ हो गया है कि बैटलफील्ड में ड्रोन और यूएवी की एक महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही है. यही वजह है कि भारतीय सेना भी ड्रोन वारफेयर के लिए कमर कस चुकी है. इसी कड़ी में नासिक (महाराष्ट्र) स्थित कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल (सीएटीएस यानी कैट्स) में रिमोटली पायलट एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) कोर्स से पास आउट होने वाले सफल कैडेट-अधिकारी अब भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं.
भारतीय सेना के मुताबिक, बुधवार को कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल में कॉम्बैट पायलट और रिमोटली पायलट एयरक्राफ्ट सिस्टम कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले 42 अधिकारियों की एक संयुक्त पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया. पास आउट करने वालों में एक महिला पायलट भी शामिल है.
सैन्य समारोह का नेतृत्व आर्मी एविएशन कोर के महानिदेशक और कर्नल कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सूरी ने किया. कैट्स, भारतीय सेना का एक प्रमुख उड़ान प्रशिक्षण संस्थान है जो आर्मी ट्रेनिंग कमांड (आर्ट्रेक) के अधीन है. अधिकारियों को अपने प्रशिक्षण के दौरान कठोर उड़ान और ग्राउंड ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है. इस दौरान सभी पायलट्स को विंग्स और बैज से सम्मानित किया गया.
आर्मी एविएशन कोर के 38 साल पूरे हो चुके हैं और इन सालों में भारतीय सेना के लिए एक मजबूत फोर्स मल्टीप्लायर और प्रमुख युद्धक प्रवर्तक के तौर पर उभर कर सामने आई है.
दरअसल, 31 एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन लेने को लेकर भारत की अमेरिका से बातचीत चल रही है. इनमें से 08 यूएवी (आरपीएएस) थलसेना को मिलने हैं. 15 यूएवी नौसेना को मिलने हैं और 08 वायुसेना को. ऐसे में थलसेना को आरपीएएस फ्लाई करने वाले पायलट की जरुरत है. इसके अलावा इजरायल की मदद से अडानी कंपनी द्वारा हर्मीस-स्टारलाइनल (‘दृष्टि’) यूएवी भी भारतीय सेना (थल सेना) को मिलने जा रहे हैं.
आंकड़ों की मानें तो पिछले दो सालों में यानी जब से रुस-यूक्रेन जंग शुरु हुई है, तब से लेकर अब तक दोनों देश अब तक करीब 35 हजार ड्रोन तबाह कर चुके हैं. रुस का दावा है कि फरवरी 2022 से लेकर अब तक यूक्रेन के 25 हजार ड्रोन और यूएवी को मार गिराया गया है. जबकि यूक्रेन का दावा है कि उसने अब तक रुस के दस हजार ड्रोन तबाह किए हैं.