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भारत-रूस की दोस्ती से अमेरिका की बढ़ी चिंता

पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आत्मीयता से गले मिलना, पुतिन का पीएम मोदी को अपने घर पर बुलाना और खुद इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी चलाकर पीएम मोदी को घुमाना, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बाद अमेरिका के भी गले से नीचे नहीं उतर रहा है. एक तरफ पीएम मोदी और पुतिन की अहम बैठक है तो दूसरे मोर्चे पर एक मंच पर नाटो देश एक साथ आए हैं.

नाटो शिखर सम्मेलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के लिए 38 देशों के नेता अमेरिकी की राजधानी वाशिंगटन डीसी में एकजुट हैं. जिनमें यूक्रेन, जापान, न्यूजीलैंड और कोरिया गणराज्य सहित सभी नाटो सहयोगी शामिल हैं.

भारत के साथ रूस के संबंध से चिंता: अमेरिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे को लेकर अमेरिका चिढ़ गया है. अमेरिकी के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बयान जारी करके कहा है कि “भारत हमारा स्ट्रैटेजिक साझेदार है जिसके साथ हमारी स्पष्ट बातचीत है. इसमें रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर हमारी चिंताएं भी शामिल हैं.”

मैथ्यू मिलर ने औपचारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि “प्रधानमंत्री मोदी इस दौरे को लेकर जो बयान देंगे, हम उस पर गौर करेंगे. लेकिन हमने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर हमारी चिंताओं को उनके सामने स्पष्ट किया है. ऐसे में उम्मीद है कि रूस के साथ बातचीत करते समय भारत या कोई भी देश ये स्पष्ट करें कि रूस को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए.” 

अमेरिका ने पीएम मोदी और हंगरी पीएम की तुलना की

मैथ्यू मिलर ने अपने बयान में कहा कि “हमने हंगरी के प्रधानमंत्री ओर्बन की तरह मोदी को भी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात करते देखा. हमें लगता है कि ये बहुत बड़ा कदम है. ऐसे में हम रूस के साथ बातचीत करने वाले किसी भी देश की तरह भारत से भी आग्रह करते हैं कि यूक्रेन में युद्ध को लेकर कोई भी समाधान संयुक्त संयुक्त राष्ट्र चार्टर, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करता हो.”

हंगरी के पीएम कर रहे हैं यूक्रेन-रूस के बीच सुलह की कोशिश. चीन पहुंचे

हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन रूस-यूक्रेन के बीच शांति की कोशिशों में जुटे हुए हैं. हंगरी पीएम ने हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन की राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है. रूस और यूक्रेन का दौरे के बाद ओर्बन अचानक चीन पहुंच गए. हंगरी ने इसी महीने यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभाली है. तब से ओर्बन एक शांति मिशन पर हैं. हालांकि, यूरोप के दूसरे नेताओं का उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है.
ओर्बन ने चीन उतरते वक्त कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की स्थिति बनाने में चीन एक प्रमुख शक्ति है.चीन अपनी 6 सूत्रीय एजेंडे पर काम कर रहा है. चीन तटस्थ देश की भूमिका निभाने के लिए तैयार है”

हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन चीन इसलिए पहुंचे हैं क्योंकि शी जिनपिंग और पुतिन अच्छे दोस्त हैं. ओर्बन की कोशिश हैं कि शी जिनपिंग भी पुतिन को समझाएं. सोमवार(8 जुलाई) को हंगरी पीएम और जिनपिंग के बीच बैठक हुई. जिसके बाद जिनपिंग ने कहा- “रूस और यूक्रेन को फिर से सीधी बातचीत करनी चाहिए. इसके लिए महाशक्‍त‍ियों को मिलकर प्रयास करना चाहिए.”

विक्टर ओर्बन अब नाटो देशों की बैठक में भी शामिल होंगे, जो 9 से 11 जुलाई तक वाशिंगटन में आयोजित की गई है.

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