मॉस्को की सफल यात्रा के बाद भारत अब पड़ोस में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश में जुट गया है. गुरुवार को ‘बिम्सटेक’ संगठन के विदेश मंत्री दो दिवसीय सम्मेलन के लिए राजधानी दिल्ली में जुट रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “11 और 12 जुलाई को बिम्सटेक देशों के प्रतिनिधि सुरक्षा, कनेक्टिविटी, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में देशों के बीच सहयोग को गहरा करने पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में बैठक करेंगे.”
यह बिम्सटेक देशों का दूसरा सम्मेलन होगा. पहला सम्मेलन जुलाई 2023 में थाईलैंड में हुआ था. बिम्सटेक सात दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का एक समूह है जिसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं.
‘बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टर टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ (बीआईएमएसटीईसी यानी बिम्सटेक) को वर्ष 1997 में गठित किया गया था ताकि सदस्य देशों के बीच व्यापार, निवेश और आपसी मेलजोल बढ़ाए जाए. साथ ही सुरक्षा के क्षेत्र में भी बिम्सटेक देश सहयोग कर सकें.
90 के दशक में पाकिस्तान के कश्मीर सहित पूरे भारत में आतंक-विरोधी गतिविधियों और सीमा पर अशांति बढ़ाने के चलते सार्क संगठन से इतर ऑर्गेनाइजेशन खड़ा करना भी बिम्सटेक का एक उद्देश्य माना जाता रहा है.
सार्क संगठन के कमजोर होने और अमेरिका से सहयोग बंद होने के बाद पाकिस्तान अब चीन और रूस जैसे देशों से नजदीकियां बढ़ाने में जुटा है. ऐसे में पाकिस्तान एससीओ संगठन का सदस्य बना है.
इसी हफ्ते जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉस्को में रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय मुलाकात कर रहे थे, तब रुस का एक सैन्य प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद में मौजूद था.
बिम्सटेक में सार्क के अधिकतर देशों के अलावा थाईलैंड को भी जोड़ा गया था. यानी सार्क देशों दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के करीब आ सकें. खास बात ये है कि इनदिनों भारत और थाईलैंड की सेनाओं के बीच मैत्री युद्धाभ्यास भी चल रहा है. 15 जुलाई तक चलने वाली ये एक्सरसाइज थाईलैंड के तक-प्रांत में चल ही है. इसी साल सितंबर के महीने में बिम्सटेक का खास शिखर सम्मेलन होने जा रहा है जिसमें पीएम मोदी के भी हिस्सा लेने की पूरी उम्मीद है.
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