हमास चीफ इस्माइल हानिया (हनियेह) के मारे जाने पर जितना सस्पेंस हैं, उतनी ही संदिग्ध है ईरान और इजरायल की चुप्पी. हानिया किसी मिसाइल अटैक में मारा गया या फिर अंगरक्षकों द्वारा ? क्या मोसाद के किसी एजेंट ने आईआरजीसी के गेस्ट हाउस में घुसपैठ की या पहले से ही कोई बहरूपिया बेहद ही सिक्योरिटी वाले गेस्ट हाउस में था मौजूद?
हानिया को नजदीक से गोली मारी गई या फिर किसी ने इंटरव्यू लेने के बहाने हनिया का काम तमाम किया ? एयर-स्ट्राइक हुई, ड्रोन अटैक हुआ या कोई एटीजीएम मिसाइल से होटल को दागा क्या ? ऐसे कई सवाल हैं, जो हमास चीफ की मौत के बाद अनसुलझे हैं. ईरान भी यकीन नहीं कर पा रहा है कि ये हुआ तो हुआ कैसे ?
खुद ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानी (आईआरजीसी) और ईरानी फ़ौज भी इस हमले को लेकर कुछ समझ नहीं पा रही. 30 जुलाई को ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में जो शख्स सबसे खुश नजर आ रहा था, तस्वीरों में अंगूठा दिखाकर तस्वीरें खिंचवा रहा था, कुछ ही घंटों बाद बेहद ही सिक्योरिटी वाले सेफ हाउस (गेस्ट हाउस) में ऐसा क्या हुआ कि हमास चीफ 31 जुलाई की सुबह नहीं देख पाया.
हमास चीफ की हत्या के पीछे क्या थ्योरी?
बेशक हमास के पॉलिटिकल विंग के चीफ इस्माइल हानिया की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में संघर्ष बढ़ सकता है. किसी भी वक्त युद्ध छिड़ने की आशंका है. इजरायल में नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया है. लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि आखिर हनिया की हत्या को लेकर खुद ईरान भी क्यों कन्फ्यूज होकर रह गया है.
हानिया को तेहरान बुलाना, ईरान की सबसे बड़ी भूल बन गई ?
बताया जा रहा है कि जिस वक्त इस्माइल हानिया ईरान की राजधानी तेहरान पहुंचा तभी से इजरायल की खुफिया एजेंसियां एक्टिव थी. सिर्फ यहीं नहीं मोसाद की नजर चीन में हुई अरब नेताओं के बैठक पर भी थी. 7 अक्टूबर को इजरायल पर जल, थल और नभ से हुए आतंकी अटैक के पीछे हनिया का ही दिमाग माना जाता है. हमले के बाद इजरायली लोगों को सिर्फ मारना ही नहीं बल्कि बंधक बनाकर इजरायल लाने की साजिश भी हनिया ने ही रची थी. हमले के बाद इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कसम खाई थी कि “जब तक हमास चीफ इस्माइल हानिया और याह्या सिनवार को नहीं मार देते तब तक लड़ते रहेंगे.”
बताया जा रहा है कि दोहा में रहने वाला हानिया जब तेहरान पहुंचा तभी से मोसाद और सीआईए (अमेरिकी खुफिया एजेंसी) की नजर थी. मोसाद के साथ मिलकर सीआईए ने उनकी सटीक लोकेशन ढूंढ निकाली और ईरानी समय के मुताबिक ठीक रात के दो बजे हानिया मार दिया गया. पर हैरानी की बात ये है कि हनिया के मारे जाने की खबर ईरानी गार्ड्स को सुबह मिली. जबकि, वो सेफ हाउस आईआरजीसी का ही था.
सोशल मीडिया पर क्षतिग्रस्त बिल्डिंग
सोशल मीडिया पर तेहरान की एक बिल्डिंग की तस्वीर वायरल हो रही है. बिल्डिंग का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त दिखाई पड़ रहा है और उसे हरे रंग के कपड़े से ढका हुआ है. कहा जा रहा है कि इजरायल ने एक एटीजीएम यानी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (संभवत स्पाइक) से बिल्डिंग पर अटैक किया जिसमें हनिया ठहरा हुआ था. इस हमले में हानिया और उसका बॉडीगार्ड मारा गया. खास बात ये है कि एटीजीएम की मार 30 किलोमीटर से ज्यादा नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या ईरान की राजधानी तेहरान में ही मोसाद के एजेंट मौजूद हैं. क्योंकि तेहरान से इजरायल की सीमा करीब 1500 किलोमीटर दूर है.
इस बीच ईरान ने ये कहकर सनसनी फैला दी है कि मीडिया के चलते हनिया की मौत हुई है. ईरान के मुताबिक, हनिया के तेहरान आने की खबर मीडिया को लग गई थी. खुद हनिया भी मीडिया में आकर बयानबाजी कर रहे थे और कैमरों को देखकर हाथ हिला रहे थे. ऐसे में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को हानिया के तेहरान में रूके होने की भनक लग गई.
सोशल मीडिया पर इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें एक सैनिक दरवाजे को खटखटाते हुए दिखाई पड़ रहा है. फिर इजरायली सैनिक खुद ही दरवाजा खोलता है तो सामने जमींदोज हुआ गाजा दिखाई पड़ता है. इससे कयास ये लगाया जा रहा है कि हानिया को उसके सेफ हाउस में घुसकर गोली मारी गई है.
हानिया की मौत का कारण जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि ये ईरान की राजधानी तेहरान में लचर सुरक्षा का नतीजा है. एक स्टेट-गेस्ट को राष्ट्रपति भवन से महज कुछ किलोमीटर दूरी पर ही मौत के घाट सुला दिया गया और किसी को कानो कान खबर तक नहीं लगी.
आईआरजीसी ने कहा है कि ” हमले का तरीका साफ नहीं है और इसकी जांच की जा रही है.” ईरानी फौज बेशक हमले का तरीका ढूंढने में लगी हो, लेकिन ईरानी मीडिया में हमले को एयरबोर्न प्रोजेक्टाइल यानी आसमान से किया गया हमला बता रही है.
क्या अपनों ने ही हमास चीफ को मरवाया, ईरान में कौन मोसाद का डबल एजेंट?
क्या हमास चीफ को किसी करीबी ने ही मरवा दिया है, क्योंकि ईरानी राष्ट्रपति भवन से सिर्फ 150 मीटर दूर हमास चीफ हानिया की हत्या की गई. ईरान की सबसे सुरक्षित जगह आईआरजीसी के गेस्ट हाउस में हानिया को मारा गया. हनिया को तेहरान में वार-वेटरंस के लिए बनाए गए खास मकानों में से एक में ठहराया गया था. सिर्फ मकान ही नहीं बल्कि पूरा का पूरा इलाका बेहद सुरक्षित था. तो क्या किसी अपने ने ही धोखा देते हुए इजरायल का काम पूरा किया.
दरअसल मोसाद, हानिया को कई सालों से ट्रैक कर रही थी. इस्माइल हानिया वैसे तो कतर के दोहा में रहता था पर ऐसी खबरें आई थीं कि 3 महीने पहले हनिया तुर्किए शिफ्ट हुआ था. अब जब तेहरान में हानिया पहुंचा तो ईरान में छिपे मोसाद के एजेंट या डबल एजेंट एक्टिव कर दिए गए और इसी लिए तेहरान में अति सुरक्षित जगह पर रहने के बावजूद इस्माइल हानिया को मारा जाना संभव हो सका. इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि इस्माइल हानिया की हत्या में ईरान से भी कोई शामिल था.
पश्चिम के समर्थक है ईरान के नए राष्ट्रपति
ईरान मे नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान उदारवादी नेता माने जाते हैं. साथ ही पश्चिम के समर्थक भी हैं, नए राष्ट्रपति के सत्ता में काबिज होने के बाद तमाम कट्टरपंथियों के मुंह पर ताला लग गया. चुनाव से पहले भी पेजेश्कियान ने ये बयान दिया था कि पश्चिमी देशों से ईरान के रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश की जाएगी. ऐसे में सवाल ये भी है कि अमेरिका-इजरायल से ईरान की कोई डील तो नहीं हुई ? हालांकि ईरान में राष्ट्रपति कोई भी हो चलती सर्वोच्च नेता की है. सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई बेहद कट्टर माने जाते हैं. ऐसे में डील की संभावना कम ही लग रही है.
अमेरिका में बनी हमास नेता पर खात्मे का प्लान?
पिछले सप्ताह ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर गए थे. तो क्या हानिया पर अटैक की प्लानिंग की गई थी? इजरायल और हमास में सीजफायर को लेकर सीआईए चीफ और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की बातचीत हुई. क्या सीजफायर की कोशिश सिर्फ दिखावे की थी?