By Himanshu Kumar
प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है. कट्टरपंथियों ने कई दर्जन हिंदुओं के घर जला दिए हैं और कई मंदिरों को नुकसान पहुंचाया है. इसके अलावा अराजक तत्व, शेख हसीना की पार्टी से जुड़े नुमाइंदों के घर और दफ्तरों सहित देश भर में बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना जारी रखा है.
भारत सरकार अब बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा के प्रयासों को प्राथमिकता दे रही है क्योंकि शेख हसीना के जाने के बाद भीड़ की हिंसा का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. राजनीतिक उथल-पुथल के बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले तेज हो गए हैं.
शेख हसीना के भारत भाग आने के बाद अंतरिम सरकार का अभी भी गठन होना बाकी है लेकिन मंदिरों में आग लगाए जाने और हिंदुओं के घरों और व्यवसायों पर हमला किए जाने के वीडियो सोशल मीडिया पर भर गए हैं. वो तब है जब बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में स्थित मेहरपुर में एक अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) मंदिर में अशांति के दौरान तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई. इस्कॉन के प्रवक्ता के अनुसार, भीड़ ने न केवल मंदिर में तोड़फोड़ की, बल्कि भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियों को भी जला दिया. इस बीच, केंद्र में रहने वाले तीन भक्त किसी तरह भागने में सफल रहे और बच गए.
हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के नेता काजोल देबनाथ के मुताबिक, सोमवार को कम से कम चार हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया.
ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र पर हिंसक भीड़ ने हमला किया और उसे आग के हवाले कर दिया. पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री के नाम पर बने इस केंद्र का उद्देश्य भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था. सांस्कृतिक संस्थान पर हमला देश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं को निशाना बनाकर की जा रही व्यापक अशांति और हिंसा को दर्शाता है.
हिंदू पार्षद की गोली मारकर हत्या
रंगपुर शहर में रहने वाले हिंदू पार्षद हराधन रॉय हारा की देश में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान हत्या कर दी गई, जिसमें 100 अन्य लोग मारे गए.
बांग्लादेश की आबादी में हिंदू लगभग 8 प्रतिशत यानी एक करोड़ से ज्यादा हैं. 1951 में, बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत थी. हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1964 से 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण करोड़ो की संख्या में हिंदू बांग्लादेश से भाग खड़े हुए.
जैसे-जैसे हिंसा बढ़ती है, भारत को हिंदू शरणार्थियों के बांग्लादेश से भागने की संभावना का सामना करना पड़ता है. बीएसएफ ने सीमा पर अलर्ट जारी किया है. भारत सरकार स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रही है और ढाका में अधिकारियों के संपर्क में है.
जयशंकर ने अल्पसंख्यकों पर हमले पर चिंता व्यक्त की
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा, “सबसे ज़्यादा चिंता की बात यह है कि अल्पसंख्यकों, उनके व्यवसायों और मंदिरों पर भी कई जगहों पर हमले हुए हैं,. यह किस हद तक हुआ, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है.”
अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति पर नज़र रख रही है. उन्होंने कहा, “ऐसी रिपोर्ट हैं कि विभिन्न समूहों और संगठनों ने उनकी (अल्पसंख्यकों की) सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए पहल की है. हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन स्वाभाविक रूप से हम तब तक बहुत चिंतित रहेंगे जब तक कि कानून और व्यवस्था स्पष्ट रूप से बहाल नहीं हो जाती. इस जटिल स्थिति को देखते हुए हमारे सीमा सुरक्षा बलों को भी बेहद सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.”
इस बीच, हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच बांग्लादेशी सेना ने नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार की सिफारिश की है. यूनुस को शेख हसीना का कट्टर विरोध माना जाता रहा है. शेख हसीना के कार्यकाल में ग्रामीण बैंक के संस्थापक यूनुस पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे.