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बांग्लादेश बॉर्डर पर हिंदुओं का जमावड़ा, गृह मंत्रालय की कमेटी करेगी निगरानी

By Himanshu Kumar

भारत-बांग्लादेश सीमा पर खड़े हो रहे तनावपूर्ण हालात को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बीएसएफ के एक एडीजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. बांग्लादेश में अराजकता और हिंसा के चलते बड़ी संख्या में हिंदू और अवामी लीग के सदस्य भारत में दाखिल होने के लिए बॉर्डर पर इकठ्ठा हो रहे हैं. ऐसे में ये पांच सदस्य कमेटी भारत-बांग्लादेश की चार हजार किलोमीटर बाउंड्री (सीमा) की खास तौर से निगरानी करेगी. 

शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि केंद्र सरकार ने बांग्लादेश में चल रही अशांति के बीच भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थिति की निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसी भी उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए गठित इस समिति का नेतृत्व पूर्वी कमान के लिए सीमा सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिदेशक करेंगे. 

अमित शाह ने यह जानकारी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के ज़रिए साझा किया. बीएसएफ एडीजी (पूर्वी कमान) के अलावा समिति के चार अन्य सदस्य हैं दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के पुलिस महानिरीक्षक, त्रिपुरा फ्रंटियर के आईजी, भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण (एलएपी) के सदस्य (योजना और विकास) और एक सेक्रेटरी.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “बांग्लादेश में चल रही स्थिति के मद्देनजर, मोदी सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा (आईबीबी) पर मौजूदा स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ संचार चैनल बनाए रखेगी ताकि वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.”

उन्होंने बताया कि समिति को बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों सहित भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों के साथ संचार चैनल खुले रखने का काम सौंपा जाएगा.

जेल से फ़रार 1200 कैदी भारत में कर सकते हैं घुसपैठ  

सुरक्षा एजेंसियों को सूचना मिली है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद पांच जेलों – नरसिंगी, शेरपुर, सतखीरा, कुश्तिया और काशिम्पु – से 1200 कैदी हथियारों के साथ जेल से भाग गए हैं, जिनमें आतंकवादी भी शामिल हैं. भारत में घुसपैठ की आशंका के चलते बीएसएफ को हाई अलर्ट पर रखा गया है.

जानकारी के मुताबिक, नरसिंगी जेल से भागे 400 कैदियों ने हालांकि, आत्मसमर्पण कर दिया है लेकिन जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम के कई सदस्यों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है.
बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा जोखिम बढ़ने के कारण दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने विभिन्न स्तरों पर संचार चैनल स्थापित किए हैं. वे अब प्रतिदिन कई चर्चाएं कर रहे हैं और घुसपैठियों को भारत में प्रवेश करने से रोकने के लिए वास्तविक समय की जानकारी साझा कर रहे हैं.

बीजीबी अधिकारियों को 4096 किलोमीटर लंबी सीमा की ओर जाने वाले किसी भी फरार अपराधी के बारे में तुरंत अपने बीएसएफ समकक्षों को सचेत करने को कहा गया है.

शुक्रवार की सुबह पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में सीतलकुची सीमा पर उस वक्त तनाव बढ़ गया, जब सौ से ज़्यादा बांग्लादेशी नागरिक, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे, कटीली तार के पास इकट्ठा होकर भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे. बीएसएफ ने कड़ी निगरानी रखते हुए इस कोशिश को नाकाम कर दिया और उन्हें घुसने से रोक दिया. बांग्लादेश के गेंडुगुरी और दोइखवा गांवों के पास बाड़ से लगभग 400 मीटर की दूरी पर मौजूद इस समूह को आखिरकार तितर-बितर कर दिया गया और बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) ने वापस ले लिया. बीएसएफ की भारी तैनाती ने घुसपैठ की कोशिश को प्रभावी ढंग से रोक दिया.

जानकारी के मुताबिक, भारतीय सीमा पर हिंदू आबादी के साथ-साथ शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के सदस्य और सांसद तक शामिल हैं. लेकिन बीएसएफ सभी को समझा-बुझा कर वापस भेज रही है. दरअसल, बीजीबी के कई बटालियन बांग्लादेश के आंतरिक इलाकों में कानून-व्यवस्था संभालने में तैनात की गई है. ऐसे में बांग्लादेश की तरफ वाली आईबीबी सुरक्षा के लिहाज से खाली है. यही वजह है कि बांग्लादेश नागरिक कट्टरपंथियों के डर से बॉर्डर पर इकठ्ठा हो रहे हैं. 

राजनैतिक संकट से गुज़र रहा है बांग्लादेश 

सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपने पद से इस्तीफा देकर भारत आने के बाद बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है. शेख हसीना के इस्तीफे और भारत के लिए उड़ान भरने के बाद से कम से कम 400 लोग मारे गए हैं. ढाका में, विरोध प्रदर्शन इतना तीव्र हो गया कि प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास, गोनो भवन में घुसकर हसीना के देश से जाने के बाद उनकी संपत्ति लूट ली.

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है, जिसकी पहली चुनौती अल्पसंख्यकों पर हिंसा और हमले को रोकना है. नई सरकार की सलाहकार परिषद में 15 सदस्य हैं, जिनमें छात्र आंदोलन के दो प्रमुख चेहरे भी शामिल हैं. 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यूनुस को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए बांग्लादेशी हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की सुरक्षा का विषय उठाया है. 

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