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SCS: फिलीपींस के बाद अब मलेशिया को धमकाने में जुटा चीन

साउथ चायना सी में फिलीपींस की बोट्स को टक्कर मारने वाले चीन ने अब आसियान के एक दूसरे देश मलेशिया पर दवाब डालना शुरु कर दिया है. चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा बीजिंग स्थित मलेशियाई एंबेसी को भेजे एक पत्र को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. पत्र के जरिए चीन ने मलेशिया को साउथ चायना सी में तेल और गैस के लिए किए जा रहे एक्सप्लोरेशन (अन्वेषण) को तुरंत रोक दिया जाए.

चीन की इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने से मलेशिया की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है. मलेशियाई सरकार ने मामले में पुलिस जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर इतनी संवेदनशील चिट्ठी आखिर फिलीपींस की मीडिया के हाथ कैसे लगी.

खास बात ये है कि इनदिनों मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम रूस के आधिकारिक दौरे पर हैं. गुरुवार को वे रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के उप-प्रधानमंत्री के साथ रूस के व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (5-6 सितंबर) में मौजूद थे.

पिछले डेढ़ साल से चीन और फिलीपींस के बीच साउथ चायना सी में सेकंड थॉमस शोल (द्वीप) पर कब्जे को लेकर जबरदस्त तनातनी चल रही है. आए दिन चीन की कोस्टगार्ड के जहाज फिलीपींस की बोट्स पर वाटर कैनन से हमला करते हैं या फिर टक्कर मारते हैं.

साउथ चायना सी में चीन की बढ़ती दादागिरी के चलते ही फिलीपींस अब वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग पर करार करने की तैयारी कर रहा है. क्योंकि चीन ने वियतनाम को भी साउथ चायना सी में ऑयल और गैस एक्सप्लोरेशन नहीं करने दिया है.

चीन, पूरे साउथ चायना सी को अपना बताता है. ऐसे में द्वीप से सटे फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ब्रुनेई जैसे देशों को चीन यहां घुसने नहीं देता है. यहां तक की इन देशों को अपने एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) में दाखिल नहीं होने देता है. यही वजह है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दक्षिण चीन सागर एक बड़ा फ्लैश पॉइंट बन गया है.

इसीू हफ्ते ब्रुनेई और सिंगापुर की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा था कि भारत विस्तारवाद नहीं साझा विकास की नीति में विश्वास रखता है. पीएम मोदी का इशारा सीधे चीन की तरफ था.