बर्लिन पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे चीन का जलना एक बार फिर से तय है. एस जयशंकर की चीन पर प्रतिक्रिया ऐसे वक्त में आई है, जब चीन ने जयशंकर के खिलाफ उल्टा सीधा लेख लिखकर वापस ले लिया था. एस जयशंकर ने चीन के साथ व्यापार करने को लेकर टिप्पणी की है.
चीन के साथ व्यापार के दरवाजे बंद नहीं: जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर ने बर्लिन में एक सम्मेलन में कहा, “हमने चीन से व्यापार करना बंद नहीं किया है, मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में व्यापार करते हैं और किन शर्तों पर व्यापार करते हैं, यह दोनों देशों के उतार-चढ़ाव वाले संबंधों से कहीं अधिक जटिल है.”
इससे पहले भी जयशंकर ने चीन को लेकर कहा था कि “पूरी दुनिया को चीन के साथ एक कॉमन दिक्कत है. केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व चीन को लेकर अलग-अलग मामलों पर बहस कर रहा है. कई देश सुरक्षा कारणों से अपने देश में चीनी निवेश की जांच करते हैं और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए.”
दरअसल साल 2020 में गलवान में हुई झड़प के बाद चीन और भारत के रिश्ते तनावपूर्ण हैं. हिंसक घटना के बाद भारत ने चीनी कंपनियों से होने वाले निवेश की जांच बढ़ा दी है और तल्खी के चलते कई प्रमुख परियोजनाओं को भी रोक दिया. भारत ने साल 2020 से सभी चीनी नागरिकों के लिए वीजा को भी लगभग रोक कर दिया है, लेकिन अब चीन के टैक्नीशिन्स के लिए वीजा को आसान बनाने पर विचार किया जा रहा है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी देश में चीनी निवेश की अनुमति देने के सुझावों का समर्थन किया है.
चीन ने एस जयशंकर को कोसा, फिर घुटनों पर आया
चीन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को निशाना साधते हुए आर्टिकल लिखा. चीन ने लिखा कि “भारत का विदेश मंत्री होने के नाते जयशंकर की नीतियां, राष्ट्र हित में नहीं है. चीन और भारत के बीच रिश्तों में आए सुधार से विदेश मंत्री डरे हुए हैं.” हालांकि विवाद होने के बाद एस जयशंकर के खिलाफ लिखा आर्टिकल को फौरन हटा लिया गया.
आर्टिकल हटाने के बाद एक बार फिर से जयशंकर की बेबाक बयानबाजी चीन को अखर सकती है. क्योंकि चीन के आर्टिकल से जयशंकर को कोई फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने बर्लिन में वही कहा जो उन्हें कहना था. (जयशंकर की आक्रामकता से खिसियाया चीनी भोंपू)