भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा. ये कहना है श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का जिन्होंने सोमवार को अपने देश की कमान संभाली है. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की जियो-स्ट्रेटेजिक लोकेशन ही उसके लिए मुसीबत साबित हो रही है.
हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है. चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं. चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है.
भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी. अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा उर्फ एकेडी ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे थे.
एकेडी ने लेकिन अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है. क्योंकि अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं. यही वजह है कि एकेडी ने कहा कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे. (श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव, चीन का जाल या भारत का साथ [OpEd])
एकेडी के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं. ऐसे में सैंडविच बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी.
भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी में श्रीलंका एक अहम स्थान रखता है. यही वजह है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पहली यात्रा कोलंबो की थी. कचाथिवू आइलैंड और मछुआरों को लेकर जरूर दोनों देशों के बीच तनातनी रही है लेकिन पिछले महीने आईएनएस शल्की पनडुब्बी को कोलंबो पोर्ट पर मिले स्वागत ने साफ कर दिया है कि दोनों देशों की नौसेनाएं रक्षा सहयोग के लिए तैयार हैं.
हाल ही में अडानी ग्रुप ने कोलंबो बंदरगाह के कंटेनर टर्मिनल में भारी निवेश किया है ताकि दोनों देशों के लॉजिस्टिक को इंटीग्रेट किया जा सके. दोनों देशों ने एक बार फिर से पर्यटन के जरिए कनेक्ट बढ़ाने पर जोर दिया है. भारत ने अगर बुद्ध-सर्किट के जरिए श्रीलंका के लोगों को आकर्षित करने पर जोर दिया है तो श्रीलंका भी रामायण-ट्रेल के जरिए ज्यादा से ज्यादा भारतीय पर्यटकों को लुभाने का प्रयास कर रहा है. दोनों देशों ने डिजिटल पेमेंट में भी इंटीग्रेशन किया है.
इसी साल फरवरी के महीने में एकेडी ने राजधानी दिल्ली का दौरा कर जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल से मुलाकात की थी. उसी वक्त साफ हो गया था कि एकेडी भले ही चीन समर्थक हैं लेकिन भारत को नजरअंदाज करने की गलती नहीं करेंगे. (चीन समर्थक हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, भारत को नहीं कर पाएंगे नजरअंदाज)
ReplyForwardAdd reaction |