वीआईपी सुरक्षा में महिला कमांडो को तैनात करने के इरादे से सीआईएसएफ ने एक अलग महिला बटालियन बनाने की तैयारी कर शुरू कर दी है. गृह मंत्रालय ने इस बाबत सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) को जरूरी मंजूरी दे दी है.
सीआईएसएफ के मुताबिक, महिलाओं को सशक्त बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका बढ़ाने के उद्देश्य से, एक ऐतिहासिक निर्णय में, गृह मंत्रालय ने फोर्स की पहली महिला बटालियन की स्थापना को मंजूरी दे दी है.
सीआईएसएफ उन महिलाओं के लिए एक पसंदीदा विकल्प रहा है जो वर्तमान में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में राष्ट्र की सेवा करना चाहती है. सीआईएसएफ में महिला कर्मियों की संख्या सात प्रतिशत (7%) से अधिक हैं.
करीब 1.80 लाख जवानों की ताकत वाली सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल) देश के 350 संवेदनशील प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करती है. देश के एयरपोर्ट, मेट्रो, बंदरगाह, ऐतिहासिक धरोहर और परमाणु संयंत्र की सुरक्षा करने के चलते सीआईएसएफ इस कार्य में काफी दक्ष हो चुकी है.
हाल ही में संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सीआईएसएफ को सौंप दी गई थी. सीआईएसएफ की अपनी एक अलग फायर यूनिट भी है. सीआईएसएफ के कमांडो वीआईपी सिक्योरिटी में भी तैनात रहते हैं. (इसलिए हुई संसद की सुरक्षा CISF के हवाले)
सीआईएसएफ के डीआईजी (इंटेलिजेंस) दीपक वर्मा के मुताबिक, फोर्स हेडक्वार्टर ने नई महिला बटालियन के लिए शीघ्र भर्ती, प्रशिक्षण और मुख्यालय के स्थान के चयन के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.
डीआईजी के मुताबिक, सीआईएसएफ में प्रशिक्षण को विशेष रूप से डिजाइन किया जा रहा है जिससे एक विशिष्ट बटालियन बनाई जा सके और बल की महिलाएं को वीआईपी सुरक्षा में कमांडो के रूप में, हवाई अड्डों की सुरक्षा, दिल्ली मेट्रो रेल सुरक्षा जैसे विविध कर्तव्यों स्थलों पर सुरक्षा सेवा प्रदान करने हेतु सक्षम बनाया जा सके. (https://x.com/FinalAssault23/status/1856318361296150629)
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