इजरायल और ईरान के बीच तनाव और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से ईरान में बड़े खौफ को देखते हुए सर्वोच्च लीडर को लेकर एक बड़ा दावा किया गया है. बताया जा रहा है कि सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई की लगातार बिगड़ती तबीयत के चलते उनके उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा कर दी गई है. ईरान की ओर से आ रही खबरों के मुताबिक अयातुल्ला खामेनेई के बेटे मोज्तबा खामेनेई को सर्वोच्च नेता की गद्दी सौंपी गई है.
अयातुल्ला खामेनेई ने खुद ईरान के सर्वोच्च परिषद की बैठक में मोज्तबा के नाम को प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से मान लिया गया है.
गुपचुप तरीके से चुना गया सर्वोच्च लीडर
इजरायल और अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच बेहद ही गोपनीय तरीके से ईरान में चुनाव गया है सुप्रीम लीडर. ईरान की मीडिया का दावा है कि की अयातुल्ला खामेनेई और उनके प्रतिनिधियों को धमका कर अयातुल्ला के दूसरे बेटे मोज्तबा खामेनेई को अगले सर्वोच्च नेता के तौर पर नामित किया गया है. फैसला पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया है.
ईरान इसलिए अपने सर्वोच्च नेता को चुनना चाहता है क्योंकि अयातुल्ला खामेनेई 85 वर्ष के हैं और लगातार उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही है. ऐसे में वो खुद अब अपना पद छोड़ना चाहते हैं. इसलिए अयातुल्ला ने सर्वोच्च परिषद की बैठक बुलाई और मोज्तबा के नाम की घोषणा की. पर अबतक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
कुछ रिपोर्ट्स में तो कहा गया है कि वे कोमा में चले गए हैं. हकीकत जो है लेकिन ईरान में इन रिपोर्ट्स के सामने आने से लोगों का गुस्सा खुले तौर से खामेनेई के खिलाफ उतरने लगा है. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए हैं जहां सड़क किनारे लगे खामेनेई के बड़े बड़े होर्डिंग को लोग आग के हवाले कर रहे हैं.
26 सितंबर को हुई बैठक, दी गई धमकी
बताया जा रहा है कि ईरान की एक्सपर्ट असेंबली के 60 सदस्यों को 26 सितंबर को सख्त गोपनीयता के तहत उत्तराधिकार पर फौरन लेने के लिए बुलाया गया था. खामेनेई और उनके प्रतिनिधियों ने सर्वोच्च नेता चुनने वाली कमेटी को डराया- धमकाया. खामेनेई के सख्त दबाव के बाद कमेटी ने मोज्तबा के उत्तराधिकार पर सर्वसम्मति से सहमति जाहिर की है. साथ ही बैठक को गोपनीय रखा गया और बैठक के बारे में कोई भी जानकारी लीक ना करने को लेकर विधानसभा सदस्यों को गंभीर परिणाम भुगतने की वॉर्निंग दी गई. विधानसभा के सदस्यों में असंतोष ना हो लिहाजा ये जानकारी तकरीबन 1 महीने तक छिपाई गई.
पिछले 2 साल से बेटे को ट्रेनिंग दे रहे थे अयातुल्ला
मोज्तबा को कोई अधिक सरकारी अनुभव नहीं है. पर अंदरूनी खबर ये है कि पिछले 2 साल से अयातुल्ला खामेनेई अपने दूसरे बेटे मोज्तबा खामेनेई को ट्रेनिंग दे रहे हैं. एक प्लानिंग के तहत अयातुल्ला ने मोज्तबा को शासन के अंदरूनी कामकाज की जिम्मेदारी दे रखी थी. ताकि सही वक्त पर मोज्तबा को सुप्रीम लीडर चुना जा सके.
एक्सपर्ट्स ये भी बताते हैं कि अयातुल्ला इसलिए भी बेटे को सुप्रीम लीडर चुनना चाहते थे ताकि जीवित रहते हुए वो सुप्रीम लीडर चुन सकें और बात में ईरान में किसी तरह का असंतोष और अंदरूनी विरोध ना हो.
पिता अयातुल्ला की तरह कट्टर हैं मोज्तबा खामेनेई
मोज्तबा होसैनी खामेनेई ईरानी शिया धर्मगुरु और ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के दूसरे बेटे हैं. साल 1999 में मोज्तबा ने मौलवी बनने के लिए कौम में पढ़ाई की. पिता की तरह है कट्टर माने जाते हैं मोज्तबा खामेनेई.
मुजतबा खामेनेई ने साल 1987 से 1988 तक ईरान-इराक युद्ध में भाग लिया साथ ही बासिज मिलिशिया का नियंत्रण भी संभाला था जिसका इस्तेमाल 2009 के चुनाव में विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए किया गया था. इसी प्रदर्शन के दौरान मोज्तबा पहली बार दुनिया के सामने आए थे. ईरानी ग्रीन मूवमेंट प्रदर्शन के दौरान सख्ती की गई थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे. कहा जाता है कि उस वक्त मूवमेंट को कुचलने के पीछे मोज्तबा ने ही प्लानिंग की थी.
दिलचस्प बात ये ही कि अयातुल्ला खामेनेई ने अपने बड़े बेटे मुस्तफा को उत्तराधिकारी ना बनाकर मोज्तबा को चुना है. इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं. मुजतबा बेहद ही सीक्रेट शख्सियत हैं और सार्वजनिक तौर पर कम ही नजर आते हैं.