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बांग्लादेशी जमात को डोरे डालने लगा पाकिस्तान, भारत के खिलाफ भड़काने की साजिश

बांग्लादेश की यूनुस सरकार की भारत से बढ़ती दूरियों को पाकिस्तान भुनाने में जुट गया है. खबर है कि ढाका स्थित पाकिस्तानी हाई कमिशनर ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से गुपचुप मीटिंग की है. ये मीटिंग, ढाका में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक सेफ हाउस में हुई है.

टीएफए  को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, ढाका में पाकिस्तानी उच्चायोग के करीब आईएसआई के एक सेफ हाउस में ये मुलाकात हुई थी. जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तानी हाई कमिशनर के अधिकारियों के साथ हुई मुलाकात की तस्वीर भी सामने आई है.

जानकारी के मुताबिक, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश में जमात के जरिए इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देना है. ऐसा कर पाकिस्तान, बांग्लादेशी राजनीति से अलायन्मेंट कर भारत के दबदबे को कम करना चाहता है.

पाकिस्तान, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर पर अपनी लगाम कसने की फिराक में भी है. साफ है बांग्लादेश के जरिए पाकिस्तान अपने जियोपॉलिटिकल उद्देश्य को पूरा करने की साजिश रचने में जुट गया है. साथ ही भारत से 1971 का बदला पूरा करने में जुटा है. क्योंकि 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश को बनाया था.

हाल ही में पाकिस्तान का एक कार्गो जहाज भी बांग्लादेश के चटगांव (चित्तागोंग) बंदरगाह पहुंचा था. पिछले 53 साल यानी बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद पहली बार कोई पाकिस्तानी जहाज चटगांव पहुंचा था.

5 अगस्त को यानी जिस दिन शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद को त्याग कर देश छोड़ा था, उससे अगले ही दिन पाकिस्तान ने बांग्लादेशी सेना को बड़ी मात्रा में गोला-बारूद और आरडीएक्स देने का समझौता किया था.

सामरिक जानकारों की मानें तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, मिलिट्री और डिप्लोमेसी मिलकर बांग्लादेश को किसी तरह से भारत के खिलाफ उकसाने में जुटी है.

जमात ए इस्लामी की कट्टरवादी विचारधारा के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को निशाना बनाकर भारत से संबंधों को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ने जा रही है.

जमात की कट्टर सोच के जरिए बांग्लादेश को अल-कायदा और आईएसआई जैसे आतंकी संगठनों को भी पैर जमाने में पाकिस्तान मदद कर सकता है. हाल के दिनों में बांग्लादेश के इस्लामिक आयोजनों में आतंकी संगठनों की मौजदूगी इस तरफ इशारा कर रही है.

भारत ने भी हालांकि, बांग्लादेश को अपने हाल पर नहीं छोड़ दिया है. जल्द ही भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी अपने बांग्लादेशी समकक्ष से मुलाकात कर सकते हैं. साथ ही थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी पिछले हफ्ते बांग्लादेशी आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमा से वर्चुअल मीटिंग कर, दोनों देशों के सैन्य सहयोग को जारी रखने पर जोर दिया था.

गौरतलब है कि बांग्लादेशी सेना प्रमुख के दिशा-निर्देश पर ही शेख हसीना ने ढाका छोड़कर भारत आने का प्लान बनाया था. साथ ही मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाने का फैसला भी बांग्लादेशी सेना ने ही बनाया था.

बांग्लादेशी सेना और अंतरिम सरकार के सामने आम चुनाव कराना है ताकि लोकतांत्रिक सरकार को चुना जा सके. लेकिन तब तक भारत को पाकिस्तान की टेढ़ी चाल से बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.  

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