Breaking News Conflict Geopolitics India-China LAC

चीन-संबंधों का आधार LAC पर शांति, जयशंकर बोले संसद में

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर दो टूक कह दिया है कि चीन के साथ संबंध सामान्य तभी रह सकते हैं जब सीमा पर ‘शांति’ और स्थिरता रहेगी. 2020 में एलएसी पर हुए टकराव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी सेना के चलते चीन के मंसूबों नाकाम हुए.

मंगलवार को जयशंकर ने संसद (लोकसभा) में सरकार की तरफ से चीन के साथ संबंधों पर बयान दिया. बयान में जयशंकर ने बताया कि 21 अक्टूबर को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डिसएंगेजमेंट समझौता किया गया.

विदेश मंत्री के मुताबिक, समझौते को बॉर्डर पर लागू भी कर दिया गया है और दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट भी गई हैं. साथ ही स्थानीय चरवाहे भी अब अपनी भेड़-बकरियों को चराने के लिए बॉर्डर पर जा सकते हैं. विवादित इलाकों में दोनों देशों के सेनाओं की पैट्रोलिंग भी शुरू हो गई है.

विदेश मंत्री के मुताबिक, 21 अक्टूबर का समझौता डेप्सांग प्लेन और डेमचोक के लिए था. जबकि सितंबर 2020 में रूस में हुए समझौते के तहत कई विवादित इलाकों का मामला सुलझा लिया गया था.

जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख सटी एलएसी पर विवाद अप्रैल-मई 2020 में चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के चलते पैदा हुआ था. जयशंकर ने कहा कि कोरोना महामारी और लॉजिस्टिक चुनौतियों के बावजूद हमारी सेना ने चीन के खिलाफ बेहद प्रभावी तरीके से तैनाती की. तनाव के चलते एलएसी पर पेट्रोलिंग भी बंद हो गई थी.  

विदेश मंत्री ने लोकसभा में दिए अपने बयान में 1954 में बाड़ाहोती (उत्तराखंड) में चीनी सेना के साथ हुई झड़प से लेकर लॉन्गजू (1959), समुद्रांगछू (1986-87) और डेप्सांग प्लेन (2013) का जिक्र करते हुए बताया कि पूर्व में भी इस तरह के समझौते किए गए जब सेनाएं पीछे हटी, टेंट हटाए गए या फिर डी-मिलिट्राइज जोन बनाए गए.

विदेश मंत्री ने बताया कि मौजूदा संबंध सुधारने के पीछे राजनयिक प्रयास शामिल हैं जिसके कारण पूर्वी लद्दाख में डिसएंगेजमेंट पूरा हो गया है. (https://x.com/DrSJaishankar/status/1863865848844415037)

जयशंकर ने हालांकि, अपने बयान की शुरुआत 1962 के युद्ध के दौरान चीन द्वारा अक्साई चिन की 38 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन और पाकिस्तान द्वारा शक्सगम वैली (5180 वर्ग किलोमीटर) देने से की.

विदेश मंत्री ने बताया कि चीन के साथ द्विपक्षीय चर्चा जारी रहेगी ताकि सीमा विवाद सुलझाया जा सके, जो दोनों देशों को स्वीकार्य हो. जयशंकर के मुताबिक, हालांकि, दोनों देशों के बीच (3488 किलोमीटर लंबी) एलएसी है लेकिन कई इलाकों में सीमा को लेकर दोनों देशों का अपना-अपना नजरिया है.

जयशंकर ने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि आने वाले समय में एलएसी पर ‘डि-एस्केलेशन’ हो और प्रभावी तरीके से ‘बॉर्डर मैनेजमेंट’ हो.