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दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ, राष्ट्रपति ने दिखाया उत्तर कोरिया का डर

सुदूर-पूर्व एशियाई देश दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक योल ने देश में इमरजेंसी घोषित करते हुए मार्शल लॉ लगा दिया है. योल ने ये कदम विपक्षी पार्टियों के उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखने और देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाते हुए ये कार्रवाई की गई है.

मार्शल लॉ लगने के बाद राजधानी सियोल की सड़कों पर सेना की आर्मर्ड व्हीकल्स ने मार्च शुरू कर दिया है. संसद पर ताला लगा दिया गया है और परिसर पर स्पेशल फोर्सेज के कमांडो ने घेराबंदी कर दी है.

दरअसल, संसद में योल की पार्टी अल्पमत में थी और विपक्ष ने सरकार का बजट प्रपोजल रोक दिया था. साथ ही योल के खिलाफ विपक्ष महाभियोग लाने की तैयारी कर रहा था. इससे पहले की महाभियोग का प्रस्ताव लाया जाता, राष्ट्रपति ने देश के नाम संदेश जारी किया और मार्शल लॉ लगा दिया. (https://x.com/FinalAssault23/status/1863978559808713061)

मार्शल लॉ लगाते ही सभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर विराम लगा दिया गया है और राष्ट्रपति योल ने सेना के कमांडरों के जरिए सभी सैन्य शक्तियां अपने अंतर्गत कर ली हैं.

मंगलवार रात 11 बजे (सियोल टाइम) से दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू हो गया है. नए सैन्य कानून के तहत संसद से लेकर स्थानीय परिषद, राजनीतिक पार्टियों और संगठनों पर रोक लगा दी गई है.

मीडिया पूरी तरह से मार्शल लॉ कमांड के अंतर्गत कर दी गई है. नए कानून के तहत फेक न्यूज, लोगों की राय और झूठे प्रोपेगेंडा पर रोक लगाने के लिए ये सब किया गया है. इसके अलावा हड़ताल, विरोध-प्रदर्शन और लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी गई है. (https://x.com/FinalAssault23/status/1863971853812838698)

करीब 44 साल बाद दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाया गया है. वर्ष 1980 में दक्षिण कोरिया में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट कर देश की कमान अपने हाथों में ले ली थी. लेकिन कुछ साल बाद ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल कर दी गई थी.

अमेरिका का करीबी देश माने जाने वाला दक्षिण कोरिया एक कैपिटेलिस्ट और विकसित देशों की श्रेणी में गिना जाता है. लेकिन 40 के दशक में बंटबारे के बाद से ही पड़ोसी देश उत्तर कोरिया से युद्ध (1950-53) और टकराव बरकरार है.

हाल के दिनों में भी कोरियाई प्रायद्वीर के दोनों पड़ोसी देशों में तलवारें खिची हुई हैं. दक्षिण कोरिया लगातार उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन पर उकसावे की कार्रवाई का आरोप लगाता आया है.

उत्तर कोरिया के परमाणु शक्ति संपन्न देश होने के नाते अमेरिका की एक पूरी कमान, जिसमें करीब 30 हजार सैनिक हैं, दक्षिण कोरिया में तैनात रहती है. यूएस फोर्सेज, दक्षिण कोरिया को न्यूक्लियर-शील्ड भी प्रदान करती है.

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