एक महंगे ब्रांड डियोर के पर्स के लिए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने अपने देश में छह घंटे के लिए मार्शल लॉ घोषित कर दिया था. लेकिन इसके लिए आरोप मढ़ दिया पड़ोसी (और दुश्मन) देश उत्तर कोरिया पर. मार्शल लॉ वापस लेने के बाद पूरा घटनाक्रम साफ हो गया है.
दरअसल, कुछ महीने पहले राष्ट्रपति यून सुक योल की पत्नी (फर्स्ट लेडी) किम कियोन ही एक मंहगे पर्स गिफ्ट लेने के आरोप में फंस गई थी. इंटरनेशनल ब्रांड डियोर के इस पर्स की कीमत 2200 डॉलर थी (1.86 लाख). पर्स लेते हुए किम का स्टिंग ऑपरेशन हुआ था.
लेफ्ट विचारधारा वाले एक यूट्यूबर ने इस स्टिंग ऑपरेशन को अपने चैनल पर प्रसारित किया था. क्योंकि उत्तर कोरिया एक वामपंथी विचारधारा मानने वाला देश है, ऐसे में योल ने मार्शल लॉ के लिए पड़ोसी देश को जिम्मेदार ठहरा दिया.
किम पर अपने पति के जरिए सरकारी मशीनरी में दखल देने, अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग कराने और घूस लेने के आरोप लगते रहे हैं. डियोर पर्स मामले से दक्षिण कोरिया की जनता सड़कों पर उतर आई और फर्स्ट लेडी के खिलाफ जांच की मांग की. योल ने अपने पत्नी को बचाने के लिए सरकारी अधिकारियों से क्लीन चिट ले ली थी.
मामला पेचीदा तब हुआ जब विपक्षी पार्टियों ने क्लीन चिट देने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ पार्लियामेंट में महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिश की. योल को ये बात नागवार गुजरी और मंगलवार रात 11 बजे देश में मार्शल लॉ लागू करने का ऐलान कर दिया. हालांकि, विपक्ष के कड़े रुख और जनता के सियोल की सड़कों पर आने से घबराए योल ने सुबह 4 बजे मार्शल लॉ हटाने का ऐलान कर दिया.
मंगलवार के घटनाक्रम से हालांकि, एक बार फिर पूंजीवादी विचारधारा में जबरदस्त विश्वास रखने वाले सुदूर-पूर्व एशियाई देश दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अस्थिरता और सरकारी पदों पर रहने वाले बड़े नुमाइंदों में भ्रष्टाचार को फिर से उजागर किया है. कुछ साल पहले, कोरियाई राष्ट्रपति पार्क गियून हुई (2013-17) को पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में महाभियोग के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था.
मंगलवार की घटना के बाद योल के कैबिनेट मंत्रियों ने भी विरोध में इस्तीफा दे दिया. रक्षा मंत्री ने तो माफी तक मांग ली है. क्योंकि कुछ घंटों के लिए कोरियाई सेना सड़क पर आ गई थी और सांसदों को संसद में घुसने से रोकने की कोशिश की थी.
इसी दौरान एक विपक्षी पार्टी की महिला प्रवक्ता के एक सैनिक से उसकी राइफल पकड़कर लड़ते हुए वीडियो वायरल हो गया था. हालांकि, कुछ देर बाद ही सैनिकों ने संसद परिसर को खाली कर दिया था जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने एकजुटता से राष्ट्रपति योल के मार्शल लॉ को वापस लेने का प्रस्ताव पास किया था.
विपक्ष ने अब राष्ट्रपति योल के खिलाफ महाभियोग लाने का ऐलान किया है. पार्लियामेंट में महाभियोग पास होने के बाद दक्षिण कोरिया का सुप्रीम कोर्ट अगर हरी झंडी देता है तो योल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. सेना के बेजा इस्तेमाल पर नौबत जेल तक आ सकती है.
मंगलवार रात का घटनाक्रम
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने विपक्ष पर पड़ोसी (और दुश्मन) देश उत्तर कोरिया से सहानुभूति रखने के आरोप में आनन-फानन में देश में मार्शल लॉ लगाने का ऐलान कर दिया. योल ने विपक्षी पार्टियों पर देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप भी जड़ दिए.
दरअसल, पार्लियामेंट में योल की पार्टी अल्पमत में थी और विपक्ष ने सरकार का बजट प्रपोजल रोक कर राष्ट्रपति के महाभियोग का ऐलान कर दिया था. महाभियोग के डर से योल ने देश में मार्शल लॉ लगाने की घोषणा कर दी.
मार्शल लॉ के ऐलान के साथ ही सेना ने पार्लियामेंट बिल्डिंग को घेर लिया और सियोल की सड़कों पर सेना की गाड़ियां परेड करने लगी. लेकिन विपक्षी सांसद अड़ गए और सैनिकों का विरोध कर संसद परिसर में घुस गए. विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में राष्ट्रपति के खिलाफ मार्शल लॉ के विरोध में वोटिंग कर डाली.
मार्शल लॉ का विरोध करने के लिए हजारों की तादाद में आम लोग सियोल की सड़कों पर आकर विरोध-प्रदर्शन करने लगी. जनता ने सैनिकों का विरोध करते हुए पार्लियामेंट के बाहर भी प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. आम लोगों का विरोध देख, जल्द ही सैनिकों ने संसद परिसर को खाली कर दिया.
राजनीतिक अस्थिरता के साथ ही दक्षिण कोरिया के बाजार पर भी खासा असर पड़ा. पहले से कमजोर कोरियाई करेंसी वॉन मार्केट में लुढ़क गई.
ऐसे में बेहद ही नाटकीय अंदाज में राष्ट्रपति योल ने मार्शल लॉ वापस लेने का ऐलान कर दिया. माना जा रहा है कि योल ने फैसले विपक्ष द्वारा महाभियोग ना लाने की चलते किया है.
सुदूर-पूर्व एशियाई देश दक्षिण कोरिया में करीब 44 साल बाद मार्शल लॉ लगाया गया था. आखिरी बार 1980 में सेना के तख्तापलट के समय मार्शल लॉ लगाया था. हालांकि, लोकतंत्र बहाली के बाद भी दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अस्थिरता रही है.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्षों का इतिहास, भ्रष्टाचार, जेल और राजनीतिक उठापठक से भरा रहा है. इस कड़ी में मंगलवार का घटनाक्रम भी जुड़ गया है.
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