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खालिस्तानियों के टारगेट पर सुखबीर बादल ?

क्या यूरोप में बैठे मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकियों के कहने पर रची गई थी सुखबीर सिंह बादल की हत्या की साजिश. या फिर पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों की मौजूदगी दिखाने के लिए बादल पर हमला किया गया. ये एक ऐसे सवाल है, जिस तलाशने में जुट गई है जांच एजेंसियां.

शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल पर हमला करने वाले नारायण सिंह चौरा को लेकर हुआ है बड़ा खुलासा. खुलासा है कि खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से संबंध रखने वाला नारायण सिंह चौरा पाकिस्तान में रह चुका है और कई आतंकियों से संपर्क में भी था और खालिस्तान पर किताब लिख चुका है. 

खालिस्तानी आतंकी के टारगेट पर थे सुखबीर बादल

स्वर्ण मंदिर में बुधवार उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब एक शख्स ने सेवा दे रहे सुखबीर बादल पर फायरिंग करने की कोशिश की. हालांकि सतर्क लोगों ने फायरिंग के दौरान मौके से आरोपी को पकड़ लिया, जिससे उसका निशाना चूक गया और सुखबीर बादल बाल-बाल बच गए.

पुलिस ने जब आरोपी की शिनाख्त की तो वो कोई साधारण आरोपी नहीं बल्कि बब्बर खालसा का एक खूंखार आतंकी निकला. नाम था नारायण सिंह चौरा. ये वही शख्स था जिसने बुड़ैल जेल से बेअंत सिंह के हत्यारों को जेल से भगाया था. (https://x.com/warlock_shabby/status/1864165265673449653?s=46)

साल 1984 में पाकिस्तान से ट्रेनिंग ली और पाकिस्तान से पंजाब में हथियार तस्करी का मास्टरमाइंड बन गया. साल 2013 में तरनतारन में चौरा के पास से हथियारों का जखीरा बरामद हो चुका है. 

पाकिस्तान में ली ट्रेनिंग, लिखी किताब, करता था आतंकियों की मदद

साल 1984 में जिस वक्त पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों का शुरुआती दौर था तब पाकिस्तान चला गया था नारायण सिंह चौरा. पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी का जरिया बन गया. पाकिस्तान में रहते हुए चौरा ने गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर किताब लिखा. जिसका नाम था कॉन्सपिरेसी अगेंस्ट खालिस्तान. इस दौरान चौरा बब्बर खालसा से जुड़ा रहा.

साल 2004 में बेअंत सिंह के हत्यारों को जेल से भगाने के मामले में चौरा आरोपी भी है. बताया जाता है कि नारायण सिंह चौरा जेल जाकर बेअंत सिंह के हत्या के आरोपियों जगतार सिंह तारा, परमजीत सिंह भ्योरा और जगतार सिंह तारा से मिलता रहता था. उन्हें खाना, कपड़ा और पगड़ी देने जाता था और इस दौरान नारायण सिंह चौरा ने आतंकियों को फरार करने की योजना बनाई. 

बताया जाता है कि आरोपी परमजीत सिंह के कहने पर नारायण सिंह चौरा ने जेल के पीछे के हिस्से में पहुँच कर कंटीली तारों पर एक चेन डाली जिससे बिजली गुल हो गई और मौके का फायदा उठा कर आतंकी एक गुफा के सहारे जेल से भाग गए. बाद में परमजीत सिॆह और भ्योरा तो पकड़े गए थे पर जगतार सिंह तारा को पकड़ने के लिए एजेंसियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी, क्योंकि तारा थाईलैंड फरार हो गया था.

2013 में हुई थी नारायण सिंह चौरा की गिरफ्तारी

पंजाब पुलिस ने नारायण सिंह चौरा को जेल ब्रेक कांड में उसे साल 2013 में गिरफ्तार किया था. उससे पहले चौरा को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था. तरनतारन से जब चौरा को गिरफ्तार किया गया तो उसके साथियों सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को उसी दिन जिले के पंडोरी गांव से गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ के बाद पुलिस ने मोहाली के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा और हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद करने का दावा किया था. 

नारायण सिंह चौरा के खिलाफ यूएपीए का केस दर्ज किया गया था. उल्टा चौरा ने ही बाद में पुलिस पर फर्जी दस्तखत करने के आरोप लगाकर केस दर्ज कर दिया था.

बहरहाल पुलिस के अलावा जांच एजेंसियां भी नारायण सिंह चौरा से पूछताछ कर रही हैं.हालांकि अब तक की पूछताछ में आरोपी नारायण चौरा ने बताया है कि वो अपने भाई जसपाल सिधवा समेत कई सिखों की हत्या और श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करवाने में बादल परिवार के सदस्यों को जिम्मेदार मानता था इसलिए उसने हमला किया. पर एजेंसियां हर एंगल से मामले की जांच कर रही है. 
(https://x.com/gagan4344/status/1864292590822281382?s=46)

वहीं, शिरोमणि अकाली दल का कहना है कि नारायण सिंह चौरा का भाई नरेंद्र सिंह डेरा बाबा नानक में चौरा बाजार कमेटी का अध्यक्ष है और कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा के करीबी है.

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