सोमवार को रूस के कलिनिनग्राड में जिस आईएनएस तुशिल युद्धपोत को भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया गया है उसपर एंटी-सबमरीन वारफेयर में निपुण कामोव हेलीकॉप्टर को तैनात किया जाएगा. कामोव हेलीकॉप्टर भी रूस में बने हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में तुशिल की कमीशनिंग सेरेमनी को कलिनिनग्राड के यंतर शिपयार्ड में आयोजित की गई थी.
आईएनएस तुशिल, प्रोजेक्ट 1135.6 का एक उन्नत क्रिवाक-3 श्रेणी का फ्रिगेट है, जिसमें से छह पहले से ही सेवा में हैं. इनमें से तीन तलवार क्लास के जंगी जहाज, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में बनाए गए हैं. साथ ही तीन टेग श्रेणी के जहाज, यंतर शिपयार्ड में बनाए गए थे. ये सभी भारतीय नौसेना में सेवारत हैं.
आईएनएस तुशिल , दो उन्नत अतिरिक्त अनुवर्ती जहाजों में से पहला है, जिसके लिए अनुबंध अक्टूबर 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षरित किया गया था. दूसरा जहाज तामल फिलहाल यांतर शिपयार्ड में ही तैयार किया जा रहा है.
आईएनएस तुशिल को नौसेना युद्ध के सभी चार आयामों – वायु, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकीय – में नीले पानी के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है.
तुशिल कई तरह के उन्नत हथियारों से लैस है, जिसमें रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, उन्नत रेंज वाली वर्टिकल-लॉन्च की गई श्टिल सरफेस-टू-एयर मिसाइल, उन्नत स्टेल्थ विशेषताओं वाली उन्नत मध्यम-रेंज की एंटी-एयर और सरफेस गन, ऑप्टिकली-नियंत्रित क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम, एंटी-सबमरीन टॉरपीडो और रॉकेट और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार सूट शामिल हैं.
तूशिल पर उन्नत एंटी-सबमरीन और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, कामोव 28 और कामोव 31 को भी तैनात किया जा सकता है. कामोव हेलीकॉप्टर रूस में बने हैं और भारतीय नौसेना का पहले से हिस्सा हैं. (तुशिल बना जंगी बेड़े का हिस्सा, कलिनिनग्राड में हुई सेरेमनी में राजनाथ रहे मौजूद)
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह जहाज अत्याधुनिक नियंत्रणों के साथ एक उन्नत गैस टरबाइन प्रणोदन संयंत्र द्वारा संचालित है और 30 नॉट से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है. उच्च स्तर की स्वचालन और स्टेल्थ विशेषताएं इसकी लड़ाकू क्षमता और उत्तरजीविता को और बढ़ाती हैं.
जहाज की कील 2013 में रखी गई थी और अक्टूबर 2021 में इसे पानी में उतारा गया था. जहाज 25 जनवरी, 2024 को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ और फैक्ट्री परीक्षणों के बाद राज्य समिति परीक्षणों और अंत में 24 सितंबर, 2024 तक बंदरगाह और समुद्र दोनों में डिलीवरी स्वीकृति परीक्षणों का एक विस्तृत कार्यक्रम पूरा कर लिया.
जहाज ने अपने सभी रूसी हथियार प्रणालियों के फायरिंग परीक्षणों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है और यह लगभग युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा.