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यूरोप पर निर्भरता कम, स्वदेशी पैराशूट कानपुर में तैयार

डिफेंस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत ने एक और कदम आगे बढ़ा लिया है. अब वायुसेना के फाइटर पायलट को किसी आपात स्थिति में आसमान से उतरने के लिए यूरोप के पैराशूट पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा. क्योंकि कानपुर की ऑर्डिनेंस पैराशूट फैक्ट्री (ओपीएफ) तेजस विमानों के पायलट के लिए सीट इजेक्शन पैराशूट बना रही है.

कानपुर ऑर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री ने एक खास तरह का पैराशूट तैयार किया है. जिसका इस्‍तेमाल तेजस विमानों के पायलट को किसी भी अनहोनी पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए किया जाएगा. इस पैराशूट के बाद अमेरिका या दूसरे यूरोपीय देशों से पैराशूट मंगाने पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. 

आत्मनिर्भर भारत ने बनाया लड़ाकू विमान के लिए पैराशूट

डीआरडीओ की इकाई एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) के इंजीनियर्स ने इस पैराशूट का डिजाइन तैयार किया है. ताकि तेजस विमानों को उड़ाने वाले फाइटर पायलट्स को आपात स्थिति में सुरक्षित जमीन पर लौटाया जा सके. डिजाइन को मंजूरी मिलने के बाद रक्षा मंत्रालय के पीएसयू ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड की इकाई ओपीएफ कानपुर ने इस पैराशूट को बनाया.

ओपीएफ इंजीनियर के अनुसार तेजस मार्क 1ए फाइटर जेट की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा है. यह 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. तेजस की लैंडिंग के समय लगभग रफ्तार 300 किलो मीटर घंटा होने पर उतरते समय ही इसका इस्तेमाल होता है. इसमें तेजस की रफ्तार को कम करके कम दूरी पर रोकने में किया जाता है. पायलट को सुरक्षित उतारने के लिए सीट इजेक्शन पायलट पैराशूट बनाने की वायुसेना ने मांग की है. जिसपर कानपुर में काम शुरु हो गया है. दरअसल, अभी तक भारतीय सेना लड़ाकू विमानों के लिए यूरोप से सीट इजेक्‍शन पायलट पैराशूट खरीदती थी.

कम लागत में तैयार हो रहा अतंरर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाला पैराशूट 

कानपुर की ओपीएफ फैक्टी एशिया में पहली फैक्ट्री बनी है, जिसने तेजस में प्रयोग होने वाले पायलट पैराशूट को कम दामों में अच्छी गुणवत्ता के साथ तैयार किया जा रहा है. पैराशूट का भार लगभग 8 किलो है. इसकी कुल लंबाई लगभग 12 मीटर है. इस फैक्ट्री में निर्माण होने वाले पैराशूट की लागत विदेशों से आने वाले पैराशूट से आधी कम है. लेकिन ताकत अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी. इसकी कीमत करीब 8 लाख तक प्रति पैराशूट होगी. ओपीएफ दो तरह के पैराशूट बना रही है.

पी7, जगुआर, मिराज, सुखोई, तेजस, मिग जैसे विमानों के पैराशूट बनाए जा रहे हैं. दरअसल लड़ाकू विमानों में दो तरह की पैराशूट का इस्तेमाल होता है. एक पायलट पैराशूट और दूसरा ब्रेक पैराशूट. कानपुर में लगभग सभी विमानों के दोनों ही तरह के पैराशूट बनाए जा रहे हैं. 

फाइटर पायलट पैराशूट के लिए अलग वर्कशॉप

ऑर्डनेंस  पैराशूट फैक्ट्री के महाप्रबंधक एमसी बालासुब्रमण्यम, वर्क मैनेजर रूपेश कुमार ने तेजस विमान के लिए कार्यशाला में महिला सशक्‍तिकरण के जरिए जहाजों के लिए पायलट पैराशूट भारत में निर्माण करने की पहल की है. इस पैराशूट को बनाने के लिए अलग से वर्कशॉप शुरू की गई है, जिसमें 65 महिलाएं काम कर रही हैं. 

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