संसद में शुक्रवार को भारत के पड़ोसी राज्यों से रिश्तों को लेकर जबरदस्त बहस हुई. संसद में भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति पर सवाल उठाए गए . बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला गूंजा तो पाकिस्तान के साथ संबंधों पर पूछे गए सवाल.
चीन के डिसइंगेजमेंट का सवाल उठा तो मालदीव और श्रीलंका के साथ रिश्तों पर भी हुई बात.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बोलना शुरु किया तो विपक्ष के एक-एक सवालों का बेबाकी से जवाब मिल गया.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने नेबरहुड फर्स्ट नीति पर उठाए सवाल
कांग्रेस सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनीष तिवारी ने संसद में नेबरहुड फर्स्ट को लेकर सवाल खड़े किए. मनीष तिवारी ने पूछा “भारत 8वां देश था, जब मालदीव के नए राष्ट्रपति ने भारत को बाहर करने के बाद भारत का दौरा किया. वो भी आर्थिक मजबूरी के बाद. दूसरा नेपाल. जिसके नवनिर्वाचित पीएम ने सबसे पहले चीन का दौरा किया, बेल्ड एंड रोड पर हस्ताक्षर किए. श्रीलंका के बाहरी कर्ज का 12.9 प्रतिशत चीन के पास है. भूटान-चीन में वार्ता हो रही है. और डोकलाम विवाद है. बांग्लादेश में उथल-पुथल है. मेरा सवाल ये है कि भारत पड़ोस नीति हो सकती है, लेकिन क्या भारत का कोई ऐसा पड़ोसी है जो भारत पहले की नीति रखता हो?”
विदेश मंत्री ने मारा छक्का, विपक्ष हुआ क्लीन बोल्ड
मनीष तिवारी के सवाल के जवाब में एस जयशंकर ने जब बोलना शुरु किया तो विपक्ष हक्का बक्का रह गया.
विदेश मंत्री ने कहा कि “पीएम नरेंद्र मोदी के नेपाल जाने से पहले 17 साल तक भारत से नेपाल की कोई यात्रा नहीं की गई थी, तो क्या इसका अर्थ ये है कि भारत में किसी को नेपाल की परवाह नहीं थी.”
विदेश मंत्री ने कहा कि “पीएम मोदी के श्रीलंका जाने से पहले 30 साल तक कोई द्विपक्षीय यात्रा नहीं हुई थी. ऐसी यात्राएं बहुत जरूरी होती हैं. पड़ोसी हमें प्राथमिकता देते हैं. इसका उदाहरण मालदीव है. मालदीव की इस सरकार के साथ हमने अडू लिंक रोड और रिक्लेमेशन परियोजना का उद्घाटन किया. मैं खुद इसके लिए गया था, वैसे विपक्ष को जानना जरूरी है कि मालदीव के राष्ट्रपति पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे.”
विदेश नीति को पक्षपातपूर्ण रंग नहीं देना चाहता, पर ये जानना जरूरी है: जयशंकर
एस जयशंकर ने भारत की मौजूदा विदेश नीति को लेकर विपक्ष को उनका कार्यकाल याद दिलाया.
जयशंकर ने कहा कि “मालदीव वही देश था जिसने 2012 में एक महत्वपूर्ण परियोजना के लिए भारतीय कंपनियों को बाहर निकाल दिया था. वही श्रीलंका है, जब साल 2008 में चीन द्वारा हंबन टोटा बंदरगाह बनाया गया था. ये वही बांग्लादेश है जो साल 2014 तक आतंकवाद को समर्थन दे रहा था. आज कोई विकास परियोजनाओं को देखें तो दोनों पक्षों के बीच सहयोग है. आज की परियोजनाओं की संख्या. व्यापार सब बातों को देखें तो उत्तर बहुत साफ है. पड़ोसियों की अपनी राजनीति है, उनके देशों में भी उतार चढ़ाव आते हैं. जिससे हम भी प्रभावित होते हैं, लेकिन अहम ये होगा कि हम मैच्योरिटी दिखाएं और नंबर बनाने में न उलझें.”
पाकिस्तान पर संसद में क्या बोले जयशंकर?
जयशंकर ने बीजेपी सांसद नवीन जिंदल द्वारा पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि “हम पाकिस्तान से अच्छा रिश्ता चाहते हैं. लेकिन आतंकवाद के साथ दोनों देशों में किसी भी स्तर पर बातचीत नहीं होगी. अगर पाकिस्तान चाहता है कि संबंध अच्छे हों तो संबंध आतंकवाद मुक्त होना चाहिए. हमने पाकिस्तान से स्पष्ट कर जिया है कि अब पाकिस्तानी पक्ष को दिखाना है कि वो अपना पुरावा व्यवहार बदल रहे हैं और अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो रिश्तों में सुधार संभव नहीं है. गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में है.”
बांग्लादेश पर विदेश मंत्री का ये है रुख
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा के सवाल पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने जवाब दिया.
विदेश मंत्री ने कहा कि “बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर भारत चिंतित है और उम्मीद करता है कि ढाका अपने खुद के हित में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगा. बांग्लादेश की ऐसी स्थिति चिंता का विषय है. अल्पसंख्यकों पर हमले की कई घटनाएं हुई हैं. हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश खुद के हित में ऐसे कदम उठाएगा कि अल्पसंख्यक सुरक्षित रहें.”
कई राउंड की बातचीत के बाद चीन से समझौता: विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एलएसी पर तनाव कम करने को लेकर चीन के साथ संबंधों पर चर्चा की. जयशंकर ने सरकार की कोशिशों को गिनाते हुए कहा, “कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. मैंने चीनी विदेश मंत्री से बात की. रक्षा मंत्री ने भी चीनी रक्षा मंत्री से बात की. आसियान के सम्मेलन में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई. भारत-चीन दोनों ओर से एलएसी का सम्मान जरूरी है. चीन के साथ डिसइंगेजमेंट पर बातचीत हुई. अब पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है. भारत-चीन में लंबे समय तक तनाव बना रहा पर अब स्थिति सामान्य है.”
म्यांमार पर भी एस जयशंकर ने रखी अपनी बात
इस दौरान म्यांमार को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि “पड़ोसी देश में बहुत अशांत परिस्थितियों के कारण भारत को ‘फ्री मूवमेंट रिजीम’ (एफएमआर) की समीक्षा करनी पड़ी. जो भारत-म्यांमार सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति देता है.”
नेपाली नोट पर दो टूक, भारत का रुख नहीं बदलेगा
नेपाली नोट पर छपे मैप में कुछ भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का बताए जाने को मुद्दा असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया. एस जयशंकर ने ओवैसी के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, “नेपाल के साथ सीमा मामले पर भारत सरकार का रुख स्पष्ट है, अगर कोई समझता है कि कुछ ऐसा करने से भारत का रुख बदल जाएगा, तो ऐसा नहीं होगा.”