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कांग्रेस भूल गई अक्साई चिन कब्जाया, चीन से किया था सामरिक समझौता

यूपीए काल की कूटनीति पर प्रहार करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जिस देश ने हमारी 38 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर धरती हड़प ली है उसके साथ सामरिक समझौता करने का क्या औचित्य था. जयशंकर ने कहा कि अब वक्त बदल चुका है और भारत दुनिया में एक ‘उभरती’ हुई ताकत है.

राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि “वर्ष 2005 (कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए काल) में भारत ने चीन के साथ सामरिक समझौता किया था, जिसपर देश में कोई चर्चा नहीं हुई थी.” जयशंकर ने कहा कि उस वक्त सेना के अधिकारी इस समझौते को लेकर सिर पकड़ते थे.

जयशंकर ने कहा कि उस वक्त की सरकार ने उस चीन से समझौता किया था जिसने 1962 की जंग में भारत के अक्साई चिन को हड़प लिया था. अक्साई चिन का कुल एरिया करीब 38 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर है. विदेश मंत्री ने कहा कि इसके अलावा 70-80 हजार वर्ग किलोमीटर (अरुणाचल प्रदेश) की जमीन पर नजर रखता है.

दरअसल, वर्ष 2005 में चीन के प्रीमियर (प्रधानमंत्री) वेन जियाबाओ भारत के दौरे पर आए थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों देशों में सामरिक साझेदारी को लेकर करार हुआ था.

विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में चीन के साथ हुई झड़प के बाद ही दुनिया को पता चला कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने के लिए पैट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) बनाए गए हैं.

दरअसल, जयशंकर इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि हाल ही में चीन से हुई समझौते को लेकर कितनी ‘पारदर्शिता’ बरती गई है. अक्टूबर के महीने में भारत ने चीन के साथ डिसएंगेजमेंट समझौता किया है जिसके तहत पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पिछले चार साल से चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया है. समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं.

विदेश मंत्री ने कहा कि अरूणाचल प्रदेश में सुमद्रांगछू विवाद के बाद 1995 में चीन के साथ हुए शांति समझौते को आज तक क्लासिफाइड रखा गया है.  

कूटनीति के लिए ग्रैंड-स्ट्रेटेजी

जयशंकर ने कहा कि आज देश ‘विकसित-भारत’ के रास्ते पर निकल चुका है और दुनिया की एक उभरती ताकत है. ऐसे में कूटनीति के लिए भी एक ‘ग्रैंड-स्ट्रेटेजी’ बनाई गई है. इस नीति के तहत भारत, ‘विश्वबंधु’ की भूमिका निभा रहा है, जिसमें अधिकतर देशों के साथ ‘मित्रता-पूर्ण’ संबंध बनाए जा रहे हैं.

विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक-परिदृश्य आज बेहद ‘अस्थिर और अनिश्चितता’ भरा है. ऐसे में भारत को ‘ओफेंस और डिफेंस’ की नीति अपनानी होगी.

विदेश मंत्री ने कहा कि इस ग्रैंड-स्ट्रेटेजी के तहत कूटनीति को ‘अगली पीढ़ी’ के लिए तैयार किया जा रहा है. (https://x.com/DrSJaishankar/status/1868249475493609793)

 

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