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विजय दिवस पर सुधरे बांग्लादेश से संबंध, मुक्ति-योद्धा पहुंचे कोलकाता

1971 युद्ध की 53वीं वर्षगांठ पर भारत और बांग्लादेश ने गिले-शिकवे मिटाने की कोशिश की है. तनाव के बीच भारत और बांग्लादेश का एक-एक प्रतिनिधिमंडल एक दूसरे के देश विजय दिवस में हिस्सा लेने पहुंचा है.

बांग्लादेश मुक्ति योद्धाओं का 10 सदस्यीय दल कोलकाता पहुंचा है तो 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ने वाले पूर्व-फौजियों सहित भारतीय सेना के 10 अधिकारियों की एक टीम बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंची है.

बांग्लादेशी और भारतीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को 1971 के युद्ध में मिली जीत के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले ‘विजय दिवस’ के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. 16 दिसंबर ही वो दिन था जब पाकिस्तान की सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था और बांग्लादेश का जन्म हुआ था. 

जंग के दौरान पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक कर सरेंडर कर दिया था.

भारत-बांग्लादेश की एकता का प्रतीक है ‘विजय दिवस

भारत और बांग्लादेश हर वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम को युद्ध के दिग्गजों और सेवारत अधिकारियों के वार्षिक आदान-प्रदान के साथ मनाया जाता है. 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए वीर बलिदानों का सम्मान करने के लिए, भारत और बांग्लादेश एक-दूसरे के युद्ध के दिग्गजों और सेवारत अधिकारियों को अपने-अपने विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं. इसी कड़ी में 10 मुक्ति योद्धाओं की टीम कोलकाता आई है तो भारतीय अधिकारी ढाका पहुंचे हैं.

विजय दिवस का कार्यक्रम दोनों देशों के बीच मित्रता के बंधन को मजबूत करता है और साथ ही उनके सशस्त्र बलों के साझा इतिहास को भी याद करता है. 

कोलकाता और ढाका में मनाया जा रहा है विजय दिवस

हर साल की तरह 16 दिसंबर यानी सोमवार वो दिनांक है जो इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगी. मुक्ति संग्राम की 53वीं वर्षगांठ पर बांग्लादेश से जो टीम भारत आई है, इसमें आठ प्रतिष्ठित बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी (मुक्ति योद्धा) और बांग्लादेश सशस्त्र बलों के दो सेवारत अधिकारी हैं. वहीं आठ भारतीय युद्ध के दिग्गज और भारतीय सशस्त्र बलों के दो सेवारत अधिकारी बांग्लादेश के विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिए ढाका पहुँचे हैं.

सेना के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश की ये द्विपक्षीय यात्राएं बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं और भारतीय युद्ध के दिग्गजों को एक साथ आने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती हैं, जहां वे उन ऐतिहासिक बलिदानों पर विचार करते हैं, जिनके कारण बांग्लादेश को पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी. (https://x.com/ihcdhaka/status/1868239668590039485)

इस बार तल्ख रिश्तों के बीच होगी मीठी बातें

विजय दिवस पर भारत और बांग्लादेश एक दूसरे के बीच अद्वितीय मित्रता का जश्न मनाते हैं और मुक्ति संग्राम की यादों को दोबारा जीवित करते हैं, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों की साझा प्रतिबद्धता और वीरता का प्रतीक है. आपसी सम्मान और स्मरण की यह परंपरा भारत और बांग्लादेश के बीच एकजुटता के गहरे बंधन को रेखांकित करती है, जो शांति, सहयोग और साझा इतिहास के मूल्यों को मजबूत करती है.

इस सालअगस्त के महीने में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में थोड़ी तल्खी है. ऐसे में बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल के भारत आने पर सस्पेंस था. पर पिछले सप्ताह रिश्ते सुधारने की पहल करते हुए भारत ने अपने विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ढाका भेजा था. जिसके बाद अब बांग्लादेश ने भी अपना दल भेजकर रिश्तों को सुधारने की कोशिश की है. 

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