विजय दिवस के मौके पर भारतीय सेना ने 1971 युद्ध के सरेंडर की तस्वीर को मानेकशॉ सेंटर में जाकर लगा दिया है. हाल ही में साउथ ब्लॉक स्थित थलसेना प्रमुख की लाउंज से इस तस्वीर को हटाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने तस्वीर हटाए जाने का मुद्दा संसद में उठाया है.
भारतीय सेना के मुताबिक, 1971 सरेंडर की ये तस्वीर सबसे सबसे उपयुक्त जगह मानेकशॉ सेंटर पहुंची है. क्योंकि भारत के फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ही 1971 युद्ध की विजय के आर्टिक्ट और हीरो थे. दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर, भारतीय सेना के सभागार के तौर पर काम करता है.
सोमवार को विजय दिवस की 53वीं वर्षगांठ के मौके पर थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, पत्नी सुनीता द्विवेदी और वरिष्ठ सैन्य ऑफिसर्स सहित कई सीनियर वेटरन्स के साथ मानेकशॉ सेंटर पहुंचे. वहां पहुंचकर 1971 सरेंडर की तस्वीर को मानेकशॉ सेंटर की दीवार पर लगाया गया.
सेना के मुताबिक, ये पेंटिंग भारतीय सशस्त्र-बलों की सबसे बड़ी सैन्य विजयों में एक है और मानवता और न्याय के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
हर साल 16 दिसंबर को 1971 युद्ध में पाकिस्तान की मिली करारी हार के उपलक्ष्य में विजय दिवस मनाया जाता है. युद्ध के दौरान पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए थे और नए बांग्लादेश का जन्म हुआ था. इस दौरान पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने ले.जनरल नियाजी की अगुवाई में भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था.
विजय दिवस से महज कुछ दिन पहले ही साउथ ब्लॉक (रक्षा मंत्रालय) में लगी इस पेंटिंग को लेकर बवाल खड़ा हो गया था. थलसेना प्रमुख सेक्रेटेरिएट की लाउंज में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों के सरेंडर दस्तावेज की तस्वीर की जगह महाभारत, चाणक्य और जटायु को दर्शाती पेंटिंग लगा दी गई थी. इसको लेकर पूर्व-फौजियों के एक समूह ने सोशल मीडिया पर सवाल खड़े कर दिए थे.
थलसेना प्रमुख, अमूमन इस लॉउंज में ही दफ्तर में आने वाले गेस्ट से मुलाकात करते हैं. गेस्ट के साथ फोटो भी इसी लाउंज में लगी 1971 युद्ध के सरेंडर की तस्वीर के बैकग्राउंड में ही क्लिक की जाती रही है. साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्री और सीडीएस के साथ ही थलसेना प्रमुख का ऑफिस भी हैं.
हाल ही में जनरल द्विवेदी ने कुछ लेखकों से मुलाकात की तस्वीरें भारतीय सेना के आधिकारिक अकाउंट पर साझा की तब जाकर पता चला की 1971 की तस्वीर की जगह नई पेंटिंग लग गई है.
क्यों खास है पूर्वी लद्दाख और पौराणिक इतिहास को दर्शाती नई पेंटिंग
नई पेंटिंग में पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों के साथ झील (पैंगोंग लेक) में पैट्रोलिंग बोट्स और खुले मैदान में टैंक, तोप, एटीवी (ऑल टेरेन व्हीकल) और आर्मर्ड व्हीकल्स दिखाई गए हैं. साथ ही आसमान में ड्रोन और अटैक हेलीकॉप्टर भी दिखाए गए हैं.
पेंटिंग के एक हिस्से में महाभारत कालीन कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण के साथ अर्जुन का रथ और मौर्य साम्राज्य के महान दार्शनिक चाणक्य को दर्शाया गया है. साथ ही आसमान में रामायण के जटायु को भी दिखाया गया है. पेंटिंग के इस हिस्से को लेकर ही वेटनर सवाल खड़े कर रहे हैं.
1971 की तस्वीर को हटाने और नई पेंटिंग को लगाने पर भारतीय सेना की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. हालांकि, माना जा रहा है कि नई पेंटिंग के जरिए भारतीय सेना इस बात को दर्शाना चाहती है कि मौजूदा समय में पाकिस्तान के बजाए चीन ज्यादा बनी चुनौती है. साथ ही भारतीय दर्शनशास्त्र और प्राचीन सामरिक-रणनीतियों के जरिए आधुनिक हथियारों के बल पर दुश्मन को परास्त किया जा सकता है.
1971 के सरेंडर की पेंटिंग को मानेकशॉ सेंटर लगाने पर सेना ने एक संक्षिप्त बयान भी जारी किया. सेना के मुताबिक, मानेकशॉ सेंटर में बड़ी संख्या में देसी और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों सहित आमजन भी पहुंचते हैं. ऐसे में इस पेंटिंग को ज्यादा से ज्यादा लोग देख पाएंगे.
प्रियंका ने उठाया संसद में मुद्दा
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने 1971 युद्ध की पेंटिंग को आर्मी हेडक्वार्टर से हटाने का मुद्दा संसद में उठाया है. (https://x.com/priyankagandhi/status/1868600541695111637)