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डोवल पहुंचे बीजिंग, बदलेंगे दुनिया के समीकरण

भारत से चीन पहुंच चुके हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राइट हैंड राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवल. बुधवार को डोवल, चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बॉर्डर से जुडे़ मुद्दे पर विशेष-प्रतिनिधि स्तर की चर्चा करेंगे.

पांच साल में ये पहला मौका है जब भारत और चीन के बीच संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की जाएगी. अक्टूबर के महीने में दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएएसी) पर विवाद सुलझाने और डिसएंगेजमेंट करार करने के बाद इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

रूस के कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सकारात्मक द्विपक्षीय बैठक के बाद अब स्थायी तौर से बॉर्डर विवाद सुलझाने पर चर्चा होने जा रही है.

बीजिंग पहुंचे एनएसए डोवल, किन मुद्दों पर होगी बात?

चीन की राजधानी बीजिंग में होने वाली विशेष प्रतिनिधि वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख के गलवान में हुई सैन्य गतिरोध के बाद बिगड़े संबंधों को पटरी पर लाना है. साथ ही 1962 से एलएसी की सीमाओं को लेकर विवाद का निपटारा करना है. 

साल 2020 से गलवान में हुई झड़प के बाद भारत-चीन के संबंधों में और तल्खी आ गई थी. कई राउंड की सैन्य बातचीत के बाद भी जब भारत-चीन में सहमति नहीं जताई जा सकी तो फिर कूटनीतिक तरीके से समझौते पर बातचीत शुरु की गई थी.  

पिछले चार सालों से संबंधों में जमी बर्फ उस वक्त पिघलनी शुरु हुई जब भारत और चीन की रणनीतिक संबंध सुधरने शुरु हुए. चीन ने भारत में अपने राजदूत की नियुक्ति की तो कई राउंड विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीनी विदेश मंत्री से अलग-अलग देशों में द्विपक्षीय वार्ता हुई. भारत चीन के संबंध उस वक्त और सुधरते नजर आए जब रूस के कजान में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मीटिंग से पहले एलएसी पर डिसइंगेजमेंट और पेट्रोलिंग पर समझौता हुआ. 

अब 2019 के बाद बीजिंग में भारत-चीन के विशेष प्रतिनिधियों की बुधवार को बैठक होनी है. जिसमें अजीत डोवल और चीनी विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे हैं.

आपसी भरोसे को बढ़ाने पर रहेगा जोर: चीन

एनएसए अजीत डोवल के बीजिंग दौरे को लेकर चीन ने प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति को लागू करने के लिए तैयार है.

लिन जियान ने कहा, “हम भारत के साथ संवाद और संचार के जरिए आपसी विश्वास को बढ़ाने और मतभेदों को सुलझाने के लिए काम करने को तैयार हैं. चीन दोनों देशों के नेताओं की सहमति के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और स्वस्थ विकास की ओर ले जाना चाहता है.”

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