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भारत से वादा लेकिन चीन रहेगा हंबनटोटा पर

श्रीलंका की जमीन का भारत के खिलाफ इस्तेमाल ना होने का वादा देने वाले राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके क्या अपने देश लौटते ही पलट गए हैं. ये सवाल इसलिए क्योंकि दिसानायके ने भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए हंबनटोटा जैसे प्रोजेक्ट में चीन से साझेदारी बढ़ाने की उम्मीद जताई है.

हंबनटोटा भारत के लिए चिंता का विषय इसलिए हैं क्योंकि कर्ज के जाल में फंसाकर चीन इस बंदरगाह के जरिए अपने जासूसी जहाज से भारत पर नजर रखने की कोशिश करता है. 

भारत से वादा और अब चीन से जताई प्रतिबद्धता 

भारत से मुलाकात के बाद चीन की ओर श्रीलंकाई राष्ट्रपति का झुकाव देखने को मिला है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र से मुलाकात के बाद एकेडी ने कई तरह के वादे किए पर अब चीन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद भारत के साथ किए गए वादों पर पानी फिरते देखा जा रहा है. 

चीन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति दिसानायके ने न केवल चीन की मदद के लिए आभार जताया है बल्कि उन्होंने संबंधों को मजबूत करने और भारत को खटकने वाले हंबनटोटा जैसे प्रोजेक्ट में साझेदारी बढ़ाने की उम्मीद जताई है.

चीन के राजनीतिक परामर्श सम्मेलन (सीपीपीसीसी) की राष्ट्रीय समिति की उपाध्यक्ष किन बोयोंग के साथ पहुंचे प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात करने के बाद दिसानायके ने कहा कि “मैं संबंधों को मजबूत करने, सेंट्रल एक्सप्रेसवे जैसी प्रमुख परियोजनाओं में तेजी लाने तथा कोलंबो पोर्ट सिटी और हंबनटोटा में साझेदारी बढ़ाने की उम्मीद करता हूं.”

श्रीलंका के जरिए फिर भारत की जासूसी करेगा चीन

श्रीलंकाई राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान सीपीपीसीसी की राष्ट्रीय समिति की उपाध्यक्ष किन बोयोंग ने कहा है कि चीन, श्रीलंका की नई सरकार के साथ काम करने के लिए तत्पर है. चीन, श्रीलंका में समुद्री रिसर्च फिर से शुरु करेगा. चीनी प्रतिनिधिमंडल ने ये भी कहा कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक संबंध और मजबूत होंगे.

गौरतलब है कि चीन के रिसर्च को लेकर भारत, श्रीलंका के साथ आपत्ति जता चुका है, जिसके बाद इस साल की शुरुआत में श्रीलंका ने चीन के रिसर्च वाले जहाज को अपने तट पर रुकने से मना कर दिया था, जिसके बाद चीन का जासूसी जहाज मालदीव के तट पर रुका था. पर मौजूदा सरकार ने एक बार फिर रिसर्च को इजाजत दी है, जिससे भारत की चिंता बढ़नी लाजमी है.

भारत के बाद जल्द चीन जाएंगे दिसानायके

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अनुरा कुमारा दिसानायके ने पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना था. पिछले सप्ताह ही दिसानायके भारत के साथ संबंध मजबूत करने के लिए भारत आए थे. अब कहा जा रहा है कि जल्द दिसानायके चीन जाने वाले हैं. दिसानायके चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. चीनी प्रतिनिधिमंडल की उपाध्यक्ष किन बोयोंग ने कहा कि चीन में राष्ट्रपति अनुरा के स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं. 

चीनी प्रतिनिधिमंडल ने इस बात की पुष्टि की है कि चीन, श्रीलंका के साथ परियोजनाओं को शुरु करने के साथ-साथ समुद्री रिसर्च फिर से शुरु करेगा, जो अस्थाई तौर पर रुकी हुई थी. बोयोंग ने कहा कि चीनी कंपनियां हंबनटोटा निवेश क्षेत्र में खुद को स्थापित करने का इरादा रखती हैं, जिसका उद्देश्य श्रीलंका को बेहतर वैश्विक पहुंच प्रदान करना है. 

हंबनटोटा में चीनी जहाज को लेकर भारत-श्रीलंका में हुआ था विवाद 

अगस्त 2022 में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह पर नजर रखने वाले पोत युआन वांग के आने से भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था.

पिछले साल अगस्त में कोलंबो बंदरगाह पर एक अन्य चीनी युद्धपोत पहुंचा था. अगस्त 2022 में भारत की आपत्ति के बावजूद श्रीलंका ने चीनी जहाजों को तेल भरने के लिए हंबनटोटा बंदरगाह इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी. इस बीच चीन के सर्विलांस जहाज ने हंबनटोटा पोर्ट के जरिए हिंद महासागर में पेट्रोलिंग की. जिसपर भारत ने श्रीलंका पर कड़ी आपत्ति जताई थी. भारत के विरोध के बाद इस साल की शुरुआत में श्रीलंका ने इस बात की घोषणा की थी कि अब श्रीलंका, चीन के रिसर्च जहाज को अपने तट पर रुकने की इजाजत नहीं देगा. 

एक बार फिर श्रीलंका ने चीन को रिसर्च के लिए अनुमति देकर भारत की चिंताओं से मुंह मोड़ लिया है. वो भी तब जब पिछले सप्ताह ही राष्ट्रपति अनुरा ने पीएम मोदी से कहा था कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं करने देंगे. (श्रीलंकाई राष्ट्रपति का मोदी को भरोसा, जमीन का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे)

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