Acquisitions Breaking News Defence

थलसेना को फिर मिलेंगी K9 वज्र तोप, L&T से हुआ करार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसएस) की मंजूरी के बाद, रक्षा मंत्रालय ने थलसेना के लिए एल एंड टी कंपनी से 100 अतिरिक्त के-9 वज्र तोपों के करार पर हस्ताक्षर किया है. सौदे की कुल कीमत 7629 करोड़ है. 

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये तोप बाय (इंडिया) कैटेगरी के तहत एल एंड टी से खरीदी जाएंगी. यानी कंपनी तोप बनाने वाली ओईएम (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) से खरीदकर भारतीय सेना को सौंप सकती है. 

के-9 वज्र तोप का निर्माण दक्षिण कोरिया की हानवा कंपनी करती है. ऐसे में एल एंड टी कोरियाई कंपनी के साथ करार कर के-9 को भारत में असेंबल कर सेना को दे सकती है. 

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, शुक्रवार को रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में मंत्रालय के अधिकारियों ने एलएंडटी के साथ इस करार पर हस्ताक्षर किया.

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, नई के-9 तोपों से थलसेना के तोपखाने की ऑपरेशन क्षमता काफी बढ़ जाएंगी. 

थलसेना के पास पहले से ही 100 के-9 वज्र तोप हैं जिन्हें एलएंडटी ने सप्लाई किया है. एलएंडटी इन के-9 व्रज तोपों को दक्षिण कोरिया की मदद से गुजरात स्थित हजीरा प्लांट में तैयार करती है.

भारत ने इन के-9 तोपों को थार रेगिस्तान में पाकिस्तान से सटी सीमा पर तैनात करने के लिए खरीदा था. लेकिन 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन से हुई गलवान घाटी की झड़प के बाद आनन-फानन में ठंडे-रेगिस्तान में तैनात करना पड़ा था. उस दौरान इन तोप में खास तौर से विंटर-किट लगाई गई थी ताकि पूर्वी लद्दाख की सर्दियों में ऑपरेट कर पाएं.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, नए 155 एमएम (52 कैलिबर) की के-9 तोपों को सीधे हाई-ऑल्टिट्यूड एरिया में सब-जीरो तापमान में तैनात की जा सकता है. क्योंकि इन तोपों में विंटर-किट कंपनी से ही फिट होकर आएगी. 

ऐसे में के-9 तोपों को देश के किसी भी कोने में आसानी से तैनात किया जा सकता है और लंबी दूरी तक सटीकता के साथ निशाना लगाया जा सकता है. 

जानकारी के मुताबिक, अगले चार सालों में मेक इन इंडिया के तहत के-9 प्रोजेक्ट के जरिए बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा और कई भारतीय एमएसएमई इसमें हिस्सा ले सकेंगी.