तिब्बत और उइगर मुसलमानों के मानवाधिक उल्लंघन मामले में बिलबिलाए चीन ने कनाडा के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की है. बीजिंग ने तिब्बत और उइगर मामलों से जुड़े कनाडा के दो संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो चारों तरफ से परेशानियों से घिरे हुए हैं. सत्ता जाने का डर, अमेरिका में देश कनाडा को मिलने का डर, पीएम की जगह गवर्नर बनने का डर, खालिस्तानी समर्थकों को पनाह देकर पहले ही घिरे हुए है तो अब चीन ने भी कनाडा को दी है पटखनी. चीन ने उइगर मुस्लिम और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल कनाडा के दो संस्थानों के करीब 20 लोगों पर बैन लगा दिया है.
कनाडा के ‘उइगर राइट्स एडवोकेसी प्रोजेक्ट’ और ‘कनाडा-तिब्बत कमेटी’ को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है बैन किए गए लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी. साथ ही चीन में एंट्री पर रोक लगाई जाएगी. कनाडा ने भी इस महीने की शुरुआत में शिनजियांग और शिजांग में तथाकथित मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए आठ पूर्व और वर्तमान चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे.
चीन ने क्यों लगाया प्रतिबंध
दरअसल कनाडा के मानवाधिकार संगठनों ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जिन संगठन पर प्रतिबंध लगाए गए हैं उन्होंने कहा कि “चीन ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर शोषण किया है. करीब एक करोड़ उइगर मुसलमानों को चीन ने नजर बंद किया है, जहां उनसे जबरन मजदूरी कराई जाती है.”
हालांकि चीन ने आरोपों को खारिज किया है. चीन ने कहा है कि उइगर मुसलमानों के पुनर्वास और शिक्षा के लिए शिविर बनाए गए हैं, जहां उन्हें रखा जाता है.
कनाडा ने इस महीने की शुरुआत में शिनजियांग और तिब्बत में तथाकथित मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए आठ पूर्व और वर्तमान चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे. कनाडा के प्रतिबंधों का बीजिंग ने विरोध जताया था.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने प्रतिबंधों को लेकर कनाडा को चेतावनी दी थी. माओ निंग ने कहा था, कनाडा को अपनी गलत हरकतों को तुरंत सुधारना चाहिए. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रतिबंधों को मानवाधिकारों के बहाने कुछ कनाडाई राजनीतिक हस्तियों की ओर से ‘अकल्पनीय एजेंडा’ को आगे बढ़ाने और अमेरिका को खुश करने के लिए किया गया एक ‘राजनीतिक स्टंट’ करार दिया था.
प्रतिबंधित संगठनों की प्रतिक्रिया
चीन के एक्शन पर उइगर राइट्स एडवोकेसी प्रोजेक्ट ने कहा है कि “हम प्रतिबंधों को सम्मान के प्रतीक के रूप में स्वीकार करते हैं. ये हमें रोकते नहीं सकते बल्कि हमारे दृढ़ संकल्प को मजबूत करते हैं. यह पुष्टि करता है कि हम सही रास्ते पर हैं.”