दुश्मनों के खतरनाक ड्रोन पर प्रहार करने की तैयारी में जुट गई है भारतीय सेना. रक्षा मंत्रालय ने ऐसे गोला-बारूद खरीदने के लिए एक आरएफआई जारी की है, जिसे ड्रोन सिस्टम को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना द्वारा उपयोग किया जाएगा.
रिक्यूस्ट फॉर इंफोर्मेशन यानी आरएफआई के अनुसार, इस 23-मिमी गोला-बारूद का उपयोग मौजूदा जेडयू-23 और शिल्का एंटी एयरक्राफ्ट गन में इस्तेमाल किया जाएगा. इनका इस्तेमाल भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले दुश्मनों के ड्रोन को नष्ट करने के लिए इन हथियार प्रणालियों में किया जाएगा. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1352873966331850752)
मेक इन इंडिया के तहत रक्षा मंत्रालय ने रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र और निजी कंपनियों से जानकारी मांगी है. भारतीय सेना अभी जू (जेडयू) 23-मिमी और शिल्का हथियार प्रणाली का उपयोग कर रही है, जो उच्च फायर रेट वाली एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम हैं. जेडयू 23-मिमी सोवियत संघ के समय का गन सिस्टम है, जिसे ज्यादातर बॉर्डर और संवेदनशील क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है.
आरएफआई, रक्षा मंत्रालय के हथियारों और गोला-बारूद के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया का पहला चरण होता है.
जानकारी के मुताबिक, इस परियोजना के तहत कंपनियों को तकनीकी और व्यावसायिक मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो “नो कॉस्ट, नो कमिटमेंट” के आधार पर होगी. अंतिम चयन के लिए लागत वार्ता समिति सबसे कम बोली लगाने वाले (एल 1) को तय करेगी. आरएफआई जमा करने की अंतिम तिथि 17 फरवरी 2025 है, जबकि एक प्री-सबमिशन बैठक 16 फरवरी को आयोजित की जाएगी.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सभी विक्रेताओं के पास लीगल रक्षा औद्योगिक लाइसेंस और विस्फोटक निर्माण से संबंधित दस्तावेज होने चाहिए. गोला-बारूद को मौजूदा हथियार प्रणालियों के तकनीकी मानकों के अनुरूप होना चाहिए और इसे -25°C से +45°C तापमान पर काम करने के लिए सक्षम होना चाहिए और +30 डिग्री से +50 डिग्री तापमान पर ऑपरेटर होना चाहिए. गोला-बारूद का शेल्फ लाइफ कम से कम 10 साल होना चाहिए.