परमाणु विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल फ्रांसीसी नौसेना के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (सीएसजी) के साथ हिंद महासागर में पहुंच गया है. फ्रांसीसी जंगी बेड़ा, गोवा तट पर भारतीय नौसेना के साथ वरुण नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेगा. युद्धपोत चार्ल्स डी गाले पर राफेल फाइटर जेट तैनात रहते हैं और ये दुश्मन के परखच्चे उड़ाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
गोवा में रुका न्यूक्लियर युद्धपोत चार्ल्स डी गॉल, राफेल मरीन हैं तैनात
फ्रांस का परमाणु ऊर्जा से चलने वाला विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल गोवा के मोरमुगाओ पोर्ट पर रुका हुआ है। इसके साथ राफेल मरीन लड़ाकू विमान भी हैं. फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देश के हितों की रक्षा के लिए फ्रांसीसी नौसेना के मिशन क्लेमेंसो 25 के तहत आया है. साथ ही, यह इस क्षेत्र में यूरोपीय अभियानों में भी योगदान दे सकता है.
फ्रांस का परमाणु ऊर्जा से संचालित विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल और इसका पूरा कैरियर स्ट्राइक ग्रुप एक विशाल नौसैनिक बेड़ा है. इस विमानवाहक पोत में बड़ी संख्या में विध्वंसक, फ्रिगेट और अन्य सहायक जहाज होते हैं. (https://x.com/IN_WNC/status/1875584933663854654)
फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के कमांडर ने क्या कहा
फ्रांस के रियर एडमिरल जैक्स मैलार्ड ने कहा कि “उनका देश क्षेत्र के सभी भागीदारों के साथ एक स्वतंत्र, खुला और स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहता है. मिशन का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के सहयोगियों के साथ आपसी संचालन की क्षमता को बढ़ाना है. आपसी संचालन का मतलब है साझेदारी, और साझेदारी का मतलब है सुरक्षा.”
फ्रांसीसी स्ट्राइक ग्रुप के बारे में बताते हुए जैक्स मेलार्ड ने बताया, “फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप यूरोप में एक खास सैन्य संपत्ति है, जो फ्रांस को अपने क्षेत्र और नागरिकों की रक्षा करने में मदद करता है. यह समूह विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे संकट प्रबंधन और युद्ध.”
फ्रांस के रियर एडमिरल ने कहा, “एक ही तरह के विमानों के साथ मिलकर काम करने का मतलब है कि हम एक-दूसरे के साथ एक जैसे युद्धकला साझा कर सकते हैं. इससे हम एक ही उपकरण का बेहतर इस्तेमाल करना सीखेंगे. जब दोनों नौसेनाएं (भारत और फ्रांस) एक ही विमान पर काम करेंगी, तो यह उन्हें और करीब लाएगा.”
खतरों से निपटने के लिए ज्वाइंट एक्सरसाइज
फ्रांसीसी नौसेना ने कहा कि “कैरियर स्ट्राइक ग्रुप क्षेत्रीय साझेदारों, खासकर भारत के साथ संयुक्त प्रशिक्षण कर रहा है. इस अभ्यास के दौरान दोनों देशों के युद्धपोतों पर एक-दूसरे के सैनिकों की संचालन प्रक्रिया का अभ्यास किया जाएगा. साथ ही हवा, सतह और पानी से होने वाले खतरे से निपटने का अभ्यास भी किया जाएगा.”
फ्रांस का अहम सैन्य साझेदार है भारत
भारत और फ्रांस के बीच अटूट मित्रता है, क्योंकि भारत फ्रांस का एक बड़ा सैन्य साझेदार है. राफेल विमान भी भारत ने फ्रांस से खरीदे हैं. भारत ने फ्रांसीसी नौसेना के जहाजों द्वारा किए गए कई परिचालन स्टॉपओवर की मेजबानी भी की है. हिंद महासागर से जुड़े राष्ट्रों के रूप में फ्रांस और भारत नियमित रूप से समुद्री सुरक्षा में योगदान देने के लिए सहयोग करते हैं.
वर्ष 2008 से फ्रांस, हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (आईओएनएस) का सदस्य रहा है. इसकी शुरुआत भारत ने की थी और यह हिंद महासागर के देशों की 25 नौसेनाओं को एक साथ लाता है. इस मंच का उद्देश्य समुद्री मुद्दों की एक श्रृंखला से निपटने में सामूहिक प्रभावशीलता को बढ़ाना है.
सिर्फ डॉक्यूमेंट्स में हैं जेनरेशन सिक्सथ के विमान- फ्रांसीसी विंग कमांडर
हाल ही में ऐसा दावा किया गया था कि चीन ने छठी पीढ़ी का विमान बना लिया है. पर फ्रांस ने ऐसे दावों को नकार दिया है.चीन के सिक्सथ (06) जेनरेशन वाले विमान के बारे में फ्रांसीसी नौसेना के कैरियर एयर विंग कमांडर गिलियूम डेनिस ने कहा, “छठी पीढ़ी का विमान अभी भी एक सपना है, लेकिन जब हम पांचवीं पीढ़ी की बात करते हैं, तो राफेल एक खास मामला है. राफेल पूरी तरह से स्टेल्थ नहीं है, लेकिन इसे बिल्कुल नए तरीके से बनाया गया है. यह एक ही समय में सभी प्रकार के मिशन करने में सक्षम है, जो पांचवीं पीढ़ी के विमानों की खासियत है. अभी छठी पीढ़ी का विमान सिर्फ कागजों पर है.”
चीन चौकन्ना, जापान जाएगा फ्रांसीसी युद्धपोत
भारत के साथ अभ्यास करने के बाद फ्रांसीसी युद्धपोत और चालक दल इंडोनेशिया के लिए रवाना होंगे. इंडोनेशिया से दक्षिण चीन सागर के रास्ते जापान जाएगा. इस पूरे इलाके में चीनी नौसेना अपना दबदबा कायम करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में फ्रांस के ताकतवर युद्धपोत को लेकर चीन ने चौकसी बढ़ी दी है.