देश में वॉर-टूरिज्म को बढ़ावे देने के इरादे से भारतीय सेना ने चीन और पाकिस्तान से सटे बॉर्डर को पर्यटकों के लिए खोलने का ऐलान किया है. खास बात ये है कि टूरिस्ट अब गलवान घाटी और डोकलम भी घूम कर आ सकते हैं.
सेना दिवस (15 जनवरी) यानी बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वॉर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भारत रणभूमि दर्शन नाम की वेबसाइट का उद्घाटन करेंगे. इस वेबसाइट को भारतीय सेना संचालित करेगी और इसमें उन जगहों के नाम विस्तार से दिए गए हैं जहां पर्यटक जा सकते हैं.
वेबसाइट में उन जंग के मैदान दिए गए हैं जहां भारतीय सेना ने समय-समय पर चीन या पाकिस्तान से कोई युद्ध लड़ा है. साथ ही जरूरी परमिशन और नियम-कानून से जुड़ी जानकारी भी साझा की जाएगी. क्योंकि ये सभी बैटलफील्ड पर्यटक स्थल, मिलिट्री-एरिया में स्थित हैं.
टीएफए को मिली जानकारी के मुताबिक, जिन बैटलफील्ड को सेना ने टूरिस्ट के लिए खोल है, उनमें पूर्वी लद्दाख में गलवान शामिल है, जहां जून 2020 में भारत और चीन के सैनिकों में खूनी झड़प हुई थी. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1878767733732786199)
हाल ही में भारत और चीन के बीच डिसएंगेजमेंट करार हुआ है, जिसके चलते पिछले साढ़े चार साल से पूर्वी लद्दाख में चल रही तनातनी काफी कम हो गई है.
गलवान के अलावा, पूर्वी लद्दाख में रेजांगला वॉर मेमोरियल (चुशूल सेक्टर) को भी टूरिस्ट के लिए खोला गया है. रेजांगला में 1962 के युद्ध की अहम जंग लड़ी गई थी, जिसमें मेजर शैतान सिंह भाटी (मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता) और उनके 100 साथियों ने चीन की एक पूरी ब्रिगेड को नाकों चने चबा दिए थे.
रणभूमि दर्शन में सिक्किम के डोकलाम (चीन-भूटान ट्राइजंक्शन) को भी शामिल किया गया है तो सिचायिन बेस कैंप, सियाचिन वॉर मेमोरियल, लिपुलेख पास (उत्तराखंड), तवांग वॉर मेमोरियल, जसवंतगढ़ युद्ध-स्मारक, बूमला और किबिथू (सभी अरुणाचल प्रदेश) भी अब देशवासियों के लिए खोल दिए गए हैं.
पाकिस्तान सीमा पर लोंगोवाला वार मेमोरियल और डोगराई युद्ध स्मारक भी अब पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं. उल्लेखनीय हैं कि कारगिल युद्ध की याद में बनाए गए द्रास वॉर मेमोरियल को कई साल पहले ही देशवासियों के लिए खोल दिया गया था.