अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में भारत के साथ अच्छे रिश्तों की दुहाई देने वाले बाइडेन प्रशासन ने रिश्ते सुधारने के लिए एक और कदम उठाया है. अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईए) ने अपनी प्रतिबंध वाली सूची से भारत की तीन परमाणु इकाइयों को हटा दिया है.
ये तीन संस्थान हैं, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क), इंडियन रेयर अर्थ्स और इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर). इन तीनों संस्थाओं पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ था. ये तीनों संस्थान भारत में परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आते हैं. हाल ही में दिल्ली आए अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैक सुलीवन ने कहा था कि जल्द ही भारत के कुछ बड़े संस्थानों से प्रतिबंध हटाया जाएगा.
न्यूक्लियर से जुड़े संस्थानों से अमेरिका ने हटाया बैन
20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेगें. उससे पहले बाइडेन प्रशासन के भारत को गुड न्यूज सुनाई है. भारत के शीर्ष परमाणु संस्थानों और अमेरिकी कंपनियों के बीच परमाणु सहयोग बढ़ाने के लिए बड़े संस्थानों पर लगाया गया बैन हटा लिया गया है. जिन संस्थानों से बैन हटाया गया है, वो इंडियन रेयर अर्थ्स, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) है. इन संस्थानों का काम देश के परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों की देखरेख करना है.
संयुक्त अनुसंधान और विकास के लिए बाधाएं होंगी कम: अमेरिका
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो ने अपने बयान में कहा- इस निर्णय का उद्देश्य “संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा. अमेरिका और भारत पिछले कई वर्षों में मजबूत विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग के साथ शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे दोनों देशों और दुनिया भर के उनके साझेदार देशों को लाभ हुआ है”
चीन के 11 संस्थाओं पर लगाया गया प्रतिबंध
भारत को राहत देते हुए बाइडेन प्रशासन ने चीन के 11 संस्थानों पर बैन लगा दिया है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने प्रतिबंध के पीछे उन गतिविधियों का हवाला दिया गया है जो “अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति हितों के विपरीत हैं. बीआईएस के अधिकारी ने ज्यादा जानकारी देते हुए कहा- “प्रतिबंधित की गई इकाइयों की सूची एक शक्तिशाली उपकरण है, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है. इन परिवर्तनों के जरिए हमने स्पष्ट कर दिया है कि पीआरसी (चीन) के सैन्य आधुनिकीकरण का समर्थन करने पर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, जबकि अमेरिका के साथ काम करने पर प्रोत्साहन मिलेगा.”