नौसेना के युद्धपोत को घातक बनाने के इरादे से रक्षा मंत्रालय ने भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) से मध्यम दूरी की जमीन से आसमान में मार करने वाली एमआरसैम मिसाइल के लिए 2960 करोड़ का सौदा किया है. नौसेना में शामिल होने वाले नए जंगी जहाज को इन मिसाइलों से लैस किया जाएगा.
बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई डॉकयार्ड में दो नए युद्धपोत आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस सूरत को राष्ट्र को समर्पित किया था. साथ ही रूस में निर्मित आईएनएस तुशील भी जल्द भारत पहुंचने वाला है. ऐसे में इन जंगी जहाजों के लिए नौसेना को बड़ी संख्या में मध्यम दूरी की मिसाइलों की जरूरत है. (विस्तारवाद नहीं विकासवाद हमारा मूल-मंत्र: मोदी)
हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने ये जानकारी नहीं दी है कि बीडीएल से कितनी मिसाइलों का सौदा हुआ है लेकिन एक दिन पहले ही पीएम मोदी ने बताया था कि इस वक्त नौसेना के 61 युद्धपोतों का निर्माण देश के अलग-अलग शिपयार्ड में चल रहा है. (15 जनवरी होगा नौसेना का ऐतिहासिक दिन, दुनिया मानेगी शिपबिल्डिंग में लोहा)
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल बीडीएल से जो समझौता हुआ है वो बाय (इंडियन) कैटेगरी के तहत हुआ है. यानी बीडीएसल, इन मिसाइलों को किसी विदेशी ओईएम (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) से खरीद कर भारत में असेंबल कर नौसेना को सप्लाई कर सकता है.
हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने साफ किया कि इन मिसाइलों में स्वदेशी कंटेंट ज्यादा होगा. दरअसल, बीडीएल इन एलआरसैम (बराक-8) मिसाइलों को इजरायल की आईएआई कंपनी के साथ मिलकर तैयार करता है.
पिछले साल, भारतीय नौसेना ने आईएनएस विशाखापट्टनम युद्धपोत से एमआरसैम मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1632945983842816001)
गुरूवार को रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजदूगी में बीडीएल के साथ इस मेक इन इंडिया समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
रक्षा मंत्रालय की मानें तो इस सौदे से नौसेना की क्षमता तो बढ़ेगी साथ ही डिफेंस सेक्टर में साढ़े तीन लाख मैनडेज (श्रम-दिन) की बराबर रोजगार भी पैदा होगा. इसका लाभ एमएसएमई इंडस्ट्री को भी प्राप्त होगा.